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Sunday, December 03, 2023
Sunday, November 26, 2023
मेरी बीवी के चूत के मजे लुटे उसके जीजा जी ने
एक रात मेरी साली का पति हमारे यहाँ रुका था. वो दूसरे कमरे में सो रहा था तो मैं अपनी बीवी की चूत चुदाई करने लगा. तभी मैंने देखा कि वो हम दोनों को खिड़की से देख रहा है.
यह बात दस साल पुरानी है. उस समय मेरी पोस्टिंग मुंबई में थी. मेरा नाम विशाल है, मैं अपनी बीवी यीशा और अपने छह साल के बेटे के साथ दो बेडरूम के फ्लैट में रहता था. मेरी शादी सन 2007 में ही हो गई थी. मेरी बीवी यीशा का फिगर 32-28-34 का था और हमारी शादी बहुत अच्छी चल रही थी.
मैं अपनी बीवी यीशा के साथ रोज रात में सेक्स करता था. मेरी बीवी बिस्तर में मुझे बहुत मजा देती थी.
एक बार मेरी बड़ी साली का पति (मेरा साढ़ू) राजीव कुछ काम से मुंबई आया था. राजीव हमारे ही फ्लैट पर रुका हुआ था.
उस दिन शाम को मैं और राजीव बाहर दारू पीने चले गए और रात को दस बजे घर वापस आए. मेरा बेटा उस समय सो गया था. मेरी बीवी हम लोगों का इंतजार कर रही थी.
घर आकर हम लोगों ने खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे. मेरी बीवी ने राजीव का बिस्तर दूसरे कमरे में लगा दिया था. वो उधर जाकर सो गया. हम दोनों राजीव से फारिग होकर अपने कमरे में सेक्स करने लगे.
तभी मैंने देखा कि राजीव खिड़की के पास खड़ा था और हम लोगों की चुदाई देख रहा था. मैं यह देख कर बहुत उत्तेजित हो गया और यीशा को बहुत जोर से चोदने लगा.
मैं कभी कभी यीशा की गांड भी मारता था, तो मैंने उसे उल्टा किया और अपना लौड़ा बीवी की गांड में डाल दिया.
अचानक से गांड में लंड पेल देने से एक बार तो यीशा बहुत जोर से चिल्लाई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ फिर शांत हो गई. मैं भी मस्ती से यीशा की गांड मारने लगा.
यीशा बोली- आज आपने बिना बताए ही गांड में लंड डाल दिया? क्या आज कुछ ज्यादा ही पी ली है?
मैंने उसके मम्मे मसलते हुए उससे कहा- हां रानी, आज मेरा मूड गांड मारने का अचानक से बन गया. बस तुम मजा लो.
वो भी गांड हिलाते हुए गांड चुदवाने का मजा लेने लगी. उसे मालूम ही नहीं चला था कि उसका जीजा राजीव हम दोनों की चुदाई देख रहा है.
कुछ देर बाद मैं अपना पानी यीशा की गांड में निकाल कर सो गया.
रात को जब मेरी नींद खुली, तो मैंने देखा कि राजीव मेरे ही पलंग पर यीशा की दूसरी साइड में लेटा हुआ है और धीमे धीमे यीशा के दूध दबा रहा है.
मैं चुपचाप लेटा रहा. फिर राजीव ने उसका एक दूध अपने मुँह में डाला और चूसने लगा. मेरी बीवी नींद में थी, तो उसे पता ही नहीं चला कि उसके साथ कौन है.
राजीव एक हाथ से उसके दूध दबा रहा था और दूसरा दूध मुँह से चूस रहा था. कुछ देर बाद यीशा की नींद खुल गई और वो भी गर्म हो गई थी. कमरे में अँधेरा था, जिससे उसे पता नहीं चला कि उसके साथ ये सब राजीव कर रहा है.
फिर यीशा ने राजीव को अपने ऊपर खींच लिया. राजीव ने भी मौके का फायदा उठाते हुए अपना लंड यीशा की चूत के ऊपर रख कर हल्का सा धक्का दे दिया, जिससे उसके लंड का सुपारा मेरी बीवी की चूत में घुस गया.
मेरी बीवी के जीजू का लंड मेरे लंड से शायद मोटा था जिससे मेरी बीवी बहुत जोर से चिल्लाई और उठ कर बैठ गई.
मैं भी बहुत डर गया पर चुपचाप लेटे रह कर सोने की एक्टिंग करता रहा.
पहले तो मेरी बीवी ने राजीव को अपने पास देखा तो बहुत डर गई और वो सकते में आ गई.
उधर राजीव भी बहुत डर गया था, तो दोनों धीमे स्वर में बात करने लगे.
इशा- जीजा जी … आंह … छोड़ो … आप यहां क्या कर रहे हो … और ये सब क्या है?
इस बीच राजीव का लंड यीशा की चुत से अलग हो गया था और हवा में एकदम नब्बे डिग्री के कोण में खड़ा था.
यीशा की नजर राजीव के लंड पर गई, तो वो बहुत हैरान होकर राजीव का लंड देखने लगी. मैंने भी पहली बार उसका लंड देखा था. राजीव का लंड मुझसे काफी बड़ा और मोटा था.
यीशा राजीव का लंड देख कर बहुत डर गई थी. इस घबराहट में उसे ये भी पता नहीं था कि वो भी पूरी नंगी है … और राजीव उसे घूर रहा है.
तभी राजीव उसके पास आकर धीमे से बोलने लगा- यीशा, जब तुम और विशाल चुदाई कर रहे थे, तो मैंने खिड़की से देख लिया था जिससे मुझे नींद नहीं आ रही थी. मुझे गीता की याद आ रही थी. मैं यहां तुम्हारे बेडरूम में आया, तो देखा
कि तुम पूरी नंगी लेटी हो और विशाल भी सो रहा है. मैं यहीं तुम्हारे बगल में लेट गया और फिर जब तुमने अपने ऊपर खींचा, तो मैंने अपना लंड तुम्हारी चूत में घुसेड़ दिया.
अब जाकर यीशा को सारी बात समझ में आई. तभी उसे अपने नंगेपन का अहसास हुआ. अब यीशा बहुत घबरा गई और उसने बेडशीट खींचकर ओढ़ ली. अब तक दोनों बहुत हद तक सामान्य हो गए थे.
यीशा धीमे से राजीव से बोली- जीजा जी, आप दूसरे कमरे में जाओ और सो जाओ.
पर राजीव उससे बोलने लगा- प्लीज़ यीशा, इतना कुछ हो गया है तो थोड़ा और हो जाने दो.
पर यीशा बहुत डर रही थी. राजीव यीशा के पास आकर उसका हाथ पकड़ कर मिन्नतें कर रहा था.
फिर राजीव यीशा का मुँह उठा कर किस करने लगा और चादर के ऊपर से ही उसके दूध दबाने लगा. मैं भी कुछ सोच नहीं पा रहा था कि क्या करूं … अगर उठता हूं, तो यीशा बहुत डर जाएगी और उसकी इज्जत मेरी नजरों में गिर जाएगी. ये उसकी इज्जत की बात थी. पर शायद यीशा को राजीव के मोटे लंड पर दिल आ गया था, इसलिए वो कुछ समझ नहीं पा रही थी क्या करे.
फिर धीमे धीमे राजीव ने उसकी चादर खींच दी और उसके दूध दबाने लगा.
धीमे धीमे यीशा भी गर्म होने लगी थी. उसके मुँह से निकल रहा था- बस नहीं … जीजा नहीं करो … प्लीज़ जीजा जाओ.
यीशा के मुँह से यही सब निकल रहा था.
अब तक शायद राजीव भी समझ गया था कि इसका दिल तो है, मगर ये डर रही है. ये समझ कर वो यीशा को दूसरे रूम में खींच कर ले जाने लगा और यीशा भी चुपचाप उसके साथ चली गई.
फिर थोड़ी देर बाद मैं चुपचाप उठ कर उनके रूम के बाहर जाके देखने लगा.
राजीव मेरी बीवी के दूध बहुत जोर से दबा रहा था और अब यीशा भी उसका लंड हाथ में पकड़ कर देख रही थी. फिर राजीव मेरी बीवी की चूत चाटने लगा, इससे यीशा और गर्म होने लगी.
यीशा को राजीव लंड चूसने के लिए बोलने लगा पर यीशा मना कर रही थी. लेकिन थोड़ी देर में वो उसका लंड चूसने लगी. यहां मैं एक बात बता दूं कि यीशा ने इससे पहले मेरा लंड कभी नहीं चूसा था.
वो बड़ी मस्ती से अपने जीजा का लंड चूस रही थी, ये देख कर मेरा लंड भी खड़ा होने लगा.
कुछ देर बाद राजीव ने यीशा के मुँह से अपना लंड निकाल लिया. राजीव का पूरा लंड यीशा के थूक से लिसड़ा हुआ चमक रहा था.
हालांकि यीशा अब भी ‘नहीं नहीं..’ कर रही थी … पर राजीव रुकने के मूड में नहीं था. राजीव ने यीशा की टांगों के बीच आकर अपना लंड मेरी बीवी की चूत पर रखा और मेरी बीवी की चुत की फांकों में रगड़ने लगा.
अब आगे की कहानी उन्हीं के शब्दों में सुनिए … तब तक मैं अपना लंड हिलाता हूँ.
इशा- राजीव, नहीं करो यार … अगर उन्हें पता चल गया, तो मेरा क्या होगा. वैसे भी तुम्हारा बहुत मोटा है और बड़ा भी है.
राजीव- कुछ नहीं होगा मेरी जान … विशाल नशे में सो रहा है, उसे कौन बताएगा.
यीशा ने उसे कहना बंद कर दिया था.
और तभी राजीव ने मेरी बीवी की चूत पर अपना लंड फंसा कर उसे देखा. यीशा ने कुछ नहीं कहा … तो उसने यीशा की दोनों चूचियों को अपने हाथों से पकड़ कर एक जोर का धक्का मार दिया. उसका लंड एक ही धक्के में यीशा की चुत में घुस गया.
राजीव ने अपना सुपारा यीशा की चूत में घुसेड़ दिया था.
इशा- आह मम्मी मर गई … बस आह बहुत मोटा है … निकालो बाहर राजीव … बस हो गया.
मगर राजीव यीशा के होंठ पकड़ कर चूसने लगा, इससे यीशा को थोड़ी राहत मिल गई और वो चुप हो गई.
राजीव- वैसे विशाल का बहुत छोटा है क्या?
ये बोलकर उसने अपना पूरा लंड यीशा की चूत में घुसेड़ दिया.
मेरी बीवी यीशा कराह कर रह गई.
राजीव ने ये बोल कर मेरी बीवी की चुत में लंड पेल दिया- लो साली साहिबा, पूरा डंडा आपकी खिदमत में हाजिर है.
इशा- आह … मर गयी मम्मी!
वो राजीव को धक्का मारकर अपने ऊपर से हटाने लगी.
पर राजीव उसे कस कर पकड़ कर धीरे धीरे धक्के मारने लगा.
यीशा ‘आह ओह..’ करने लगी.
अब राजीव ने यीशा की दोनों चूचियों को पकड़ कर जोर जोर से धक्के मारने शुरू कर दिए थे. पर अब भी यीशा ‘आह धीरे धीरे …’ ही बोलती रही थी.
इशा- आह जीजा आराम से … क्या मार ही डालोगे … पूरे जानवर हो … मुझे फंसा ही लिया.
राजीव ने हंसते हुए कहा- साली साहिबा, आज बहुत दिनों बाद कोई टाईट चूत चोदने को मिली है.
इशा- आंह … तो जान ही ले लोगे क्या?
थोड़ी देर बाद यीशा को भी मजा आने लगा था. उसने भी राजीव को कस कर पकड़ लिया और उसे चूमने लगी.
राजीव भी समझ गया कि अब यीशा की चूत को मजा आने लगा, वो जोर जोर से लंड अन्दर बाहर करने लगा.
यीशा की चूत लंड को मजे से लेने लगी थी. उसकी दोनों टांगें हवा में उठ गई थीं.
तभी यीशा जोर जोर से आवाज करने लगी. राजीव समझ गया कि यीशा अब झड़ने वाली है.
ये देख कर राजीव अब और तेजी से अपना लंड यीशा की चूत में पेलने लगा. कुछ ही पलों में दोनों एक साथ बह गए और राजीव ने अपना माल मेरी बीवी की चूत में निकाल दिया.
वो लंड झड़ने के बाद यीशा की चूचियों के ऊपर ही ढेर हो गया.
थोड़ी देर बाद यीशा बोली- जीजा उठो न!
राजीव- उन्ह … सोने दो न.
इशा- उठो … और तुमने ये क्या किया … अन्दर ही निकाल दिया. अब अगर कुछ लफड़ा हो गया, तो मैं क्या करूंगी?
राजीव- करना क्या है … वैसे तो तुमको कुछ नहीं होगा. और अगर हुआ भी तो अपने पति विशाल से बोल देना कि तुम्हारा ही है.
इशा- और जो मेरी चूत फाड़ कर रख दी है, उसका मैं विशाल को क्या जवाब दूंगी?
राजीव- कुछ नहीं होगा यार.
ये बोल कर उसने मेरी बीवी के दूध हाथ में पकड़ लिए और उनको फिर से सहलाने लगा.
मेरी बीवी यीशा उसका इशारा समझ कर कहने लगी- नहीं जीजा जी … अब नहीं मेरी हिम्मत नहीं है … एक बार में ही चुत सूज गई है. छोड़ो मुझे.
ये बोलकर वो राजीव की पकड़ से छूट कर बाथरूम में चली गई. मैं भी चुपचाप अपने पलंग पर जाकर लेट गया. थोड़ी देर में मेरी पतिव्रता पत्नी मेरे पलंग पर मेरे बाजू में आकर लेट गई. उसने पहले मुझे चैक किया, फिर मेरी ही बगल में लेट कर सो गई.
ये मेरी बीवी की चुदाई की कहानी थी जो मेरे जीवन में एक ऐसा मोड़ ले आई थी, जिसे मैंने आज तक अपने सीने में छिपाए रखा.
हालांकि मुझे अपनी बीवी के किसी दूसरे लंड से चुद जाने से कोई गिला नहीं था. मगर तब भी मुझे आज तक इस घटना को लेकर बार बार याद आता है कि कैसे मेरी बीवी ने अपने जीजा के साथ चुत चुदवा ली थी.
आप सभी के सामने आज अपनी बीवी की चुदाई की कहानी लिख कर मैं खुद को काफी हल्का महसूस कर रहा हूँ. यह मेरी बेस्ट सेक्स कहानी है.
हरामी पेंटर और चूत का रंग
हाई फ्रेंड्स! मैं नीतू पाटिल है, उम्र 24, हाइट 5’4″ साइज 32-28-36 है, मेरा रंग गोरा है और दिखने में बहुत सुन्दर हूँ, मैं हमेशा ट्रेंडी और अट्ट्रक्टिव रहती हूँ.
मेरे पति नितिन पाटिल 32 साल के मुझसे 8 साल बड़े हैं, मेरे जितनी हाइट है और दिखने में गोरे और हैंडसम हैं, उनका खुद का बिज़नेस है, हमारी शादी को 2 साल हुए हैं।
हमने अपना बंगलो पेंट करने का फैसला लिया और हमारे 4bhk बंगलो को रंगने का काम एक पेंटर को दिया, वो पेंटर कॉन्ट्रैक्ट लेता था और जरूरत के अनुसार दो तीन पेंटर भेज देता था, उसके और जगह पे भी काम चालू थे.
सबसे पहले वो पेंटर घर देखने और रेट फिक्स करने आया तभी मुझे उसकी नज़र ठीक नहीं लगी, वो सुबह सुबह घर पर आया तब मैंने 3 पीस लाल रंग की नाईटी पहनी हुई थी, मेरे पति नाशता कर रहे थे तो मैंने दरवाजा खोला तो सामने 6 फुट का एक सांवला सा मस्क्युलर आदमी खड़ा था, उसकी नजर मेरे स्तनों पर टिकी थी.
उसने मुझे मुस्कुरा कर ‘हेल्लो’ बोला पर मेरे स्तनों से नजर नहीं हटाई.
‘हेल्लो’ मैंने सोचते हुए जवाब दिया.
‘मैं मोहन लाल पेंटर…’ वो मेरे सारे बदन को देखते हुए बोला.
‘आओ अंदर आओ!’ मैं दरवाजे से बाजु होकर बोली और दरवाजा अंदर से बंद कर दिया.
‘बैठो…’ मैं सोफे की तरफ इशारा करके किचन की तरफ जाने लगी तो वो मेरे गोल नितम्बों की तरफ देखने लगा.
‘सुनते हो… पेंटर आया है!’ मैंने अपने पति से कहा.
मेरे पति बाहर आये, नार्मल बातचीत हुई फिर पेंटर घर देखने लगा, ग्राउंड फ्लोर पे दो बैडरूम किचन और हॉल था और ऊपर के फ्लोर पर दो बैडरूम थे, हमारा मास्टर बैडरूम ऊपर के फ्लोर पर था और सास-ससुर अगर गांव से आये तो उनके लिए नीचे का बैडरूम था. मेजरमेंट टेप लेकर मैं, नितिन और पेंटर हर रूम में जाने लगे.
ऊपर के फ्लोर पे जाने के बाद पहले दूसरा बैडरूम देखा, फिर हमारे बैडरूम में जाने लगे।
तभी मेरे पति का मोबाइल किचन में बजने लगा, उसको लेने के लिए वो नीचे चले गए.
‘बिज़नस डील होगी तो फोन पे कितना टाइम लगेगा, उसका भरोसा नहीं, मैं दिखाती हूँ बैडरूम!’ मैंने पीछे से उसे कहा तो वो पीछे देखने लगा और एक फुट के दूरी से आँखों से मेरा नाप लेने लगा.
इतनी देर पति साथ में थे तो उसने मुझ पे जरा भी ध्यान नहीं दिया था।
‘चलेगा मेम साब…’ बोल कर उसने मुझे दरवाजा खोलने के लिए जगह दी, मैं दरवाजा खोलने के लिए आगे गई तो मेरे हाथ को उसका टच हुआ, वो टच गलती से हुआ या जानबूझ कर किया ये मुझे पता नहीं चला, मैं दरवाजा खोल कर जल्दी से अंदर आ गई, वो मेरे पीछे अंदर आ गया, उसकी नजर अब भी मेरे नितम्बों पर ही थी.
‘आपने बैडरूम तो बहुत अच्छे से सजाया है मेमसाब!’ वो हमारे किंग साइज बेड की तरफ देखते हुए बोला.
तभी मेरी नजर बेड के करीब के टेबल लैंप पे गई और मुझे शॉक ही लगा, आज सुबह सुबह लगभग एक घंटे पहले ही मैंने और मेरे पति ने सेक्स किया था, सेक्स के दौरान प्रोटेक्शन के लिए कंडोम्स हम दो साल से इस्तमाल कर रहे हैं.
‘ओ गॉड…’ सुबह सेक्स में इस्तमाल किया हुआ कंडोम मेरे पति ने टेबल लैंप के बाजु में ही रखा था.
पेंटर लैंप के नजदीक खड़ा था और मैं बेड के दूसरी तरफ खड़ी थी, मेरी टेंशन शायद उसको समझ आई थी, मेरी नजर कहाँ पे है उसने देखा, तो उसकी नजर इस्तमाल किये हुए कंडोम पर गई, उस हरामी ने कंडोम को उंगली से पकड़ के उठाया और हवा में लहराया, पेंटर कुछ बड़बड़ाया.
मुझे बस इतना ही सुनाई दिया- कितना छोटा है!
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‘क्या बोला तू? ला वो इधर!’ मैंने हाथ आगे किया.
‘आपको इससे बड़ा मांगता है?’ उसने मेरे हाथ में कंडोम रखते हुए बोला.
‘शट अप!’ मैंने गुस्से से उसे बोला, तभी पैरों की आवाज सुनाई दी, मेरे पति ऊपर आ रहे थे, मैंने कंडोम अपने मुट्ठी में छुपा लिया.
‘सच में मेमसाब!’ वो फिर भी बोला.
‘चुप रहो!’ मैंने गुस्से से कहा.
‘गिनना हो गया?’ मेरे पति ने बैडरूम में आते हुए कहा.
‘पेंटर कहता है बहुत छोटा है!’ मैंने पेंटर पर बम गिरा दिया, उसके चेहरे का रंग ही उड़ गया।
‘मतलब?’ पेंटर ने डरते हुए पूछा.
‘अच्छा?’ पति ने कंफ्यूज होकर पूछा- आमतौर पर पेंटर ‘काम बहुत बड़ा है’ बोलते हैं, ये कैसे ‘काम छोटा है’ बोल रहा है?
‘हाँ, अभी मुझे बोला छोटा है, तो पेंटिंग का खर्च भी कम आएगा.’ मैं उसकी टांग खींचते हुए बोली.
‘क्या मेम साब, बहुत बड़ा है आपका, बहुत काम करना पड़ेगा!’ उसने मेरी चुची को देख के बोला, काम के बहाने वो मेरे स्तनों के बारे में बोल रहा था.
वो नीचे चले गए, मैंने हाथ में छुपाया हुआ कंडोम डस्ट बिन में फेंक दिया और नीचे चली आई.
सब घर गिन के काम की कीमत फिक्स की, वह कल से काम चालू करने का बोल के घर चला गया, मेरे पति तैयार होकर कंपनी में चले गए.
कचरा फेंकने के लिए मैंने डस्ट बिन उठाई, मुझे उसमे कंडोम दिखा तब मुझे पेंटर की याद आई, मैंने कंडोम उठा कर हाथ में लिया, जैसे उस पेंटर ने हवा में पकड़ा था, वैसे ही मैंने भी पकड़ा, मैंने कंडोम के साइज का अंदाजा लिया, पेंटर ने साइज के बारे में जो बात कही थी वो मेरे पति के लिंग के लिए थी, उसके हिसाब से उनका लिंग आकार में छोटा था, पर मुझे ऐसा नहीं लगा, मैंने कंडोम के साइज का अंदाज लगाया, लगभग 5 इंच का था, मुझे मेरे पति ने कई बार सुख दिया था, पर मुझे कभी भी उसके साइज में कोई कमी नहीं लगी।
मुझे उस पेंटर पे बहुत गुस्सा आया और कैसे मैंने उसकी विकेट ली यह सोच कर मुझे बहुत हंसी भी आई, मेरे पति का लिंग नार्मल साइज का था, फिर भी वो पेंटर ऐसा क्यों बोला, शायद उसका लिंग…
मैं सोच बदल कर काम मैं लग गई.
दूसरे दिन मोहन पेंटर दो और पेंटर को लेकर आया, खाली किये हुए रूम मैं उन्हें काम पे लगा दिया, मैंने तीनों को चाय दी.
थोड़ी देर में मेरे पति ऑफिस चले गए, मोहन उन दोनों पेंटर के काम पे ध्यान दे रहा था.
मैं बैडरूम मैं जाने लगी तो वो भी मेरे पीछे पीछे आ गया- मेमसाब मुझे ऊपर के रूम का नाप लेकर कलर मंगवाना है, कल नाप नहीं लिया था ना!
वो मेरे पीछे पीछे चलते हुए बोला.
‘बाद में नाप ले लेना, मुझे अभी नहाना है.’ मैं उसे बोल कर ऊपर जाने लगी.
‘कसम से क्या गांड है!’ मोहन जान बूझ के ‘मुझे सुनाई दे’ इतनी ऊंची आवाज में बोला.
‘क्या बोला?’ मैंने आवाज ऊंची करके उसे पूछा.
‘मैंने कहाँ कुछ बोला?’ उसने ऐसे कहा जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
मैंने उसे मना किया था आने के लिए… फिर भी वो मेरे चूतड़ों पे नजर गड़ाये हुए मेरे पीछे पीछे बैडरूम तक आ गया.
‘शर्म नहीं आती क्या? मैंने मना किया ना… जाओ नीचे!’ मैंने चिल्ला के उसे बोला.
पर वो बड़ा बेशर्म था- क्यों गुस्सा होती हो मेमसाब, आप जाओ बाथरूम मैं, मैं बेडरूम मैं मेरा काम कर लेता हूँ!
‘पर मेरे कपड़े यहाँ बैडरूम मैं हैं’ मैंने कहा.
‘क्या आप बिना कपड़ों के बाहर आती हो क्या?’ उसने मुझसे कहा.
‘मैं तुमको क्यों बताऊ कि मैं कहाँ क्या करती हूँ, ज्यादा होशियारी की तो में साहब से बोल दूंगी’ मैंने उसे कहा,
‘गुस्सा क्यों होती हो मेमसाब, मैं बाहर रुकता हूँ.’ उसने मुझसे कहा.
‘बाहर नहीं, नीचे जाओ!’
मेरे कहते ही वो नीचे चला गया और उसने कहा- तुझको मेरे नीचे लेता हूँ.
मैंने सुन लिया.
मैं दरवाजा लॉक करके बाथरूम में गई, उसके शब्द याद आये और मैं उत्तेजित हो गई, फिर मुझे उसका डर लगने लगा.
मैंने नहा कर साड़ी पहनी और नीचे आ गई.
दो तीन दिन काम बहुत तेजी से होता रहा, मोहन आकर काम देख जाता था, पर मुझसे काम ही बात होती थी, मेरी डांट की वजह से वो सीधा हो गया था, पर उसकी नजर अब भी मेरे बदन पर होती थी.
दो तीन दिन बाद उसके दोनों आदमी नहीं आये, मैंने फ़ोन करके मेरे पति को यह बात बता दी.
मेरे पति ने मोहन को फ़ोन किया तो उसने बताया- वो दोनों आज काम पे नहीं आएँगे.
लेकिन काम न रुकने का वादा भी किया।
एक घंटे बाद मोहन आया, उसकी नजर हमेशा की तरह मेरे स्तनों पर ही थी। ये मेरे लिए कुछ नया नहीं था.
‘मेमसाब आज लोग काम पर नहीं आएंगे!’ उसने कहा.
‘तो फिर काम कैसे पूरा होगा?’ मैंने उसे बीच में टोकते हुए पूछा.
‘आप बहुत टेंशन लेती हो मेमसाब, मैं आपका काम रुकने नहीं दूंगा.’
नीचे के रूम की घिसाई हो गई थी, पर ऊपर के रूम का कुछ भी नहीं हुआ था.
नीचे के बैडरूम में मोहन गया और काम शुरु कर दिया, मैं भी उसके पीछे पीछे गई, उसने कलर का डिब्बा खोला.
‘यह तो सफ़ेद कलर है!’ मैंने चौंकते हुए कहा.
‘मेमसाब, यह कलर नहीं है, यह प्राइमर है कलर से पहले लगाना पड़ता है.’ उसने इधर उधर देखते हुए कहा.
‘मेमसाब, वो कैरी बैग देना!’
मेरे पैरों में एक कैरी बैग पड़ी थी, मैंने उसे वो उठा के दी, वो बेडरूम के दरवाजे के पास खड़ा था, बीच में एक सीढ़ी थी और मैं बेड के पास खड़ी थी.
एकाएक वो अपने शर्ट के बटन खोलने लगा, उसने अंदर बनियान नहीं पहनी थी, उसकी सांवली त्वचा चमक रही थी, उसका पूरा शरीर कसरती था.
शर्ट उतारने के बाद वो शर्ट को टांगने के लिए जगह ढूंढने लगा, हेंगर मेरे तरफ के दिवार पे था, वो मेरे एकदम पास में आके खड़ा हुआ, अब हम दोनों बेड और सीढ़ी के बीच में खड़े थे, एक तो वो छह फुट लंबा और तगड़ा था उस पर उसने शर्ट निकाली हुई थी और ऐसा आदमी मेरे पास खड़ा था तो मुझे अजीब फील हो रहा था, क्या करूँ यह सोच कर मैं वहीं खड़ी रही क्योंकि बाहर जाने के लिए कोई रास्ता नहीं था.
उसने पैंट की चैन खोली और झट से पैंट उतार दी, तो मेरी नजर उसके अंडरवियर पे गई, उसने ग्रीन कलर की फ्रेंची पहनी हुई थी और उसका वो वाला हिस्सा बहुत फूल गया था, अब मैं एक छोटी सी फ्रेंची पहने हुए आदमी के बहुत पास खड़ी थी।
‘आपको यकीन नहीं होता ना साहब की साइज छोटा है… मैं आपको यकीन दिलाता हूँ कि उससे काफी बड़ा भी होता है.’ वो अपनी फ्रेंची के फूले हुए हिस्से पे हाथ घुमाते हुए बोला।
मेरी नजर फिर उसके उस वाले हिस्से पे गई, यह बात उसने भी देख ली.
‘चलो मेमसाब आप को दिखा ही देता हूँ!’ ऐसे कह कर उसने अपना हाथ फ्रेंची के अंदर डाला.
‘नहीं, कोई जरुरत नहीं, जाने दो मुझे!’ मैं उसे मना कर रही थी पर ‘उसका लिंग कैसा होगा’ इसके बारे में सोच भी रही थी.
‘अरे मैडम, आपको कुछ करने वाला थोड़ी हूँ, आप देख लो असली लौड़ा कैसा होता है.’ वो अपने फ्रेंची के अंदर हाथ हिलाने लगा.
‘ईई… कितना गन्दा बोलते हो, कोई जरूरत नहीं!’ पर मैं उसके हिलते हुए हाथ की ओर देख रही थी.
‘मेमसाब लंड को लंड नहीं कहेगे तो क्या कहेंगे?’ वो बेशर्मी से बोला.
मेरी नजर वहीं थी, यह देख कर उसने अपना लिंग फ्रेंची से बाहर निकाल लिया.
‘ये क्या है?’ मेरा मुंह खुला का खुला ही रह गया, बहुत मोटा और काला लिंग था उसका, अभी नॉर्मल था फिर भी 5 इंच का था, पूरा खड़ा हो गया तो कितना मोटा होगा मैं सोचने लगी.
‘इसे कहते हैं लौड़ा, आपको कैसा लगा मैडम?’ उसने बेशर्मी से पूछा और मेरा खुला मुंह देख के बोला- मेमसाब, आपको तो सदमा लगा है!
‘नहीं वो… मतलब!’ मैं क्या बोल रही थी मुझे ही पता नहीं था, मेरी नजर उसके लिंग से हटकर उसकी नजर से जा मिली.
‘देख के क्या होगा मेमसाब, इसको हाथ में ले के देखो!’ उसने हंस के बोला.
‘नहीं प्लीज!’ मैं उसको रिक्वेस्ट करने लगी.
‘अरे मेमसाब, आप पकड़ के तो देखो, ऐसा लंड आपने थोड़े ही पहले पकड़ा होगा? और मैं थोड़े ही आपको कुछ करूँगा!’
मैंने ‘ना’ में सर हिलाया तो वो जोर से हँसने लगा.
मैं बाहर जाने के लिए एक कदम आगे बढ़ी लेकिन उसके आगे मैं नहीं जा सकी क्योंकि वो वहीं खड़ा था और उसने आगे आकर मेरा रास्ता रोक लिया.
‘जाने दो मुझे!’
यह सुनते ही वो जोर से हँसा, उसको भी पता चल गया कि मेरा विरोध कम हो गया है।
‘मेमसाब अपुन जबर्दस्ती नहीं करेगा… वैसे अपुन जानता है लौड़ा लेने का मन आपका भी है.’ उसको मेरे मन की बात पता चल गई थी.
‘डरो मत, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा!’
‘मैं नजर नीची करके अपने दोनों हाथों से अपने साड़ी के पल्लू से खेल के टाइम निकाल रही थी, मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी, मेरे मन में युद्ध चल रहा था, ‘लिंग इतना बड़ा भी होता है, हाथ में लेने में क्या जाता है.’
‘नहीं, लिंग देखा वो ही बड़ी बात हो गई… अगर इसने जबर्दस्ती की तो?’
‘तो… तो मैं कुछ नहीं कर सकती, कितनी मस्क्युलर बॉडी है इसकी…’
‘वैसे ही वो हाथ में लेने के लिए ही जोर दे रहा है, उसकी ख्वाइश पूरी हो जायेगी, मैं भी यहाँ से चली जाऊँगी और इतना बड़ा लिंग हाथ में लेने को मिलेगा.’
‘और किसी को पता चला तो?’
‘वो कह रहा है ना किसी को पता नहीं चलेगा!’
‘कितना बड़ा लिंग है… बस हाथ में लूँगी, बाकी कुछ नहीं!’
‘चलो मेमसाब जल्दी करो, अब तो ये लौड़ा भी रुकने को तैयार नहीं, देखो कैसे फूल गया है.’
मैंने लिंग पे नजर डाली वो अपने विराट रूप में आ गया था, मैंने पल्लू से खेलना रोक दिया और हाथों को नीचे छोड़ दिया, उसको मेरा इरादा पता चल गया और उसने मेरे हाथ की कलाई को पकड़ लिया, मैंने उसकी तरफ देखा और तुरंत नजर चुरा ली.
‘अरे मेमसाब क्या शरमा रही हो!’ उसने मेरा हाथ छोड़ दिया और अपने हाथ से अपना लिंग हिलाया और फिर छोड़ दिया.
‘ले ले जल्दी से, शरमा मत!’ वो अब आप से तू पे आ गया था, वो अब उतावला हो गया था.
‘मैंने हाथ आगे किया, मेरे कांपते हुए हाथों ने उसका लिंग मुट्टी में पकड़ लिया और फिर मुट्टी टाइट कर ली. मुझे लगा कि मैंने कोई गर्म लोहे का रॉड पकड़ा है… उसका लिंग इतना कड़क था और बहुत मोटा था, मेरे हाथ में नहीं बैठ रहा था, लंबे लंड पर मेरा एक हाथ काम पड़ने लगा, तो मैंने दूसरे हाथ की मदद ली, बायें हाथ से लिंग के जड़ को पकड़ा और दायें हाथ से आगे की ओर पकड़ कर मैं दोनों हाथ से उसका लिंग हिलाने लगी.
मैं उसके सामने खड़ी होकर दोनों हाथों से लिंग हिला रही थी इसलिए स्पीड बहुत कम थी.
मेरी तकलीफ उसके समझ में आ गई, एकाएक उसने मेरा हाथ छुड़ा लिया और मेरी तरफ पीठ करके खड़ा हो गया, मेरे दोनों हाथ पकड़ के उसने मुझे अपने पीछे से खींचा और मेरा हाथ उसके लिंग पर रखा, मैं उसको पीछे से पूरी चिपकी हुई थी, मेरे स्तन उसके पीठ में गड़ गए थे.
‘मत करो प्लीज…’ मैंने उसे कहा.
लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ. ‘बहुत बड़े मम्मे हैं तुम्हारे!’ मेरे स्तनों को अपनी पीठ पे फील करते हुए उसने कहा.
‘मत करो न… प्लीज!’ मैंने उसे फिर से रिक्वेस्ट की और थोड़ी देर और उसके लिंग को मसला.
उसने मेरे दोनों हाथ छुड़ा लिए और अपना एक पैर सीढ़ी पे रखा और मुझे बोला- नीचे से हाथ में लो!
मैंने बैलेंस बनाने के लिए एक हाथ उसकी कमर पर रखा और अपना दायाँ हाथ उसके नीचे से सामने लेकर आई, पीछे से मुझे उसका लिंग नहीं दिखाई दे रहा था, मैं अंदाजे से उसके लिंग को पकड़ने की कोशिश करने लगी, मेरे हाथ में उनके अंडकोष आ गये, उसके अंडकोष बहुत बड़े थे, मैंने गलती से उनको जोर से दबाया तो पेंटर जोर से चिल्लाया- आह… माँ कसम क्या चुदासी रांड है! उम्म्ह… अहह… हय… याह…
वो ख़ुशी से बोला.
‘नीचे बैठ के कर!’ उसने मुझे हुक्म दिया.
मैं नीचे बैठ गई उसके नितम्ब अब मेरे सामने आ गये, उसका लिंग हिलाने के समय मेरा होठों का घर्षण उसके अंडकोष और नितम्ब के बीच की जगह में होने लगा, मैंने बैलेंस बनाने के लिए मेरा हाथ उसके नितम्बों पे रखा तो गलती से मेरा हाथ उसके नितम्ब के छेद को लगा.
‘गांड मारना चाहती है क्या मेरी?’ वो फिर से अश्लील भाषा में बोलने लगा, लेकिन मुझे वो सुनने में मजा आने लगा था, इतने बड़े सांड को मैंने चिल्लाने पे मजबूर किया था, अब मेरी भी हिम्मत बढ़ गई थी, मैं अपनी उंगली उसके नितम्ब के होल में गोल गोल घुमाने लगी तो वो सिसकारियाँ भरने लगा था ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
उसने मेरा हाथ खींचा और मुझे अपनी दोनों टांगों के बीच में से खींच कर अपने सामने लेकर आ गया, उसने उसका लिंग अपने हाथ से पकड़ कर मेरे मुंह के सामने लेकर आया, मुझे उसका इरादा समझ में आ गया, मैंने उसका लिंग हाथ से पकड़ कर अपने मुंह में डाला, मेरे जीभ के हमले से वो फिर से सिसकारियाँ लेने लगा- क्या चूसती है साली… पक्की चुदासी रंडी है… तेरे पति से बड़ा है कि नहीं?
वो मुझे चिढ़ाने के लिए बोला, मैंने उसे कुछ नहीं बोला और चूसना चालू रखा.
‘पति का चूसने से भी ज्यादा मजा आ रहा है कि नहीं?’ उसने मेरे मुंह से लिंग बाहर निकाला.
क्या मस्त चूसती है तू, क्या बोलती है तू इसको?’ वो अपना लिंग हिलाते हुए बोला.
‘लिंग!’ मैं शरमाते हुए बोली.
तो वो हंस पड़ा- लंड बोल इसको, बोल! क्या चूसती है तू?’
‘लंड…’ मैं जैसे तैसे बोली, पर मुझे बहुत उत्तेजक लगा.
‘हां, ऐसे ही बोलने का, लंड को लंड बोलने में ही ज्यादा मजा आता है!’ ऐसे बोल कर वो मेरे मुख में धक्के देने लगा, उसके विशाल लंड के धक्कों से मेरी सांस फूलने लगी, तो मैंने उसका लंड बाहर निकाल लिया, तो वो अपने लंड को मेरे गाल पर मारने लगा.
अचानक उसने अपने मर्दाने हाथों से मेरा दायाँ स्तन दबा दिया और बायें कंधे को पकड़ लिया.
‘नहीं बहुत हो गया!’ मैं उसके हाथों को मेरे स्तनों से हटाने लगी, पर उसने मजबूती से मेरा स्तन पकड़ रखा था.
‘चल अब ज्यादा नाटक मत कर!’ कहते हुए उसने मुझे खड़ा किया, मेरा पल्लू पकड़ के एक झटके में मेरी साड़ी को उतार दिया और पेटीकोट का नाड़ा खींचा तो पेटीकोट मेरे पैरों में गिर गया.
‘क्या मक्ख़न बदन है साली का!’ वो मेरे पेट, जांघ जो जो भाग खुला था उस पर हाथ फेरने लगा.
उसका हाथ घूम कर मेरे ब्लाउज पर आ गया और वो मेरे ब्लाउज के हुक्स को खोलने लगा, मैं मेरा हाथ उसकी छाती पर घुमाने लग गई.
उसने जल्दी से हुक्स खोल कर ब्लाउज को मेरे शरीर से अलग कर दिया, मैंने सफ़ेद ब्रा पहनी थी, उसने ब्रा के कप को नीचे करके मेरा एक स्तन बाहर निकाल लिया.
‘माँ कसम… क्या मम्मे है साली के!’ कह कर वो मेरे स्तन दबाने लगा.
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‘ऐ गली मत दो न!’ मैंने उसे रिक्वेस्ट की तो वो हंस कर बोला- मजा आता है… तुमको भी आ रहा है!
वो मेरे ब्रा के हुक्स खोलते हुए बोला, मैं उसका साथ दे रही थी.
उसने मेरी ब्रा उतार दी, अब मेरे शरीर पर सिर्फ पेंटी बची थी, वो अब पागलों की तरह मेरे स्तनों को दबाने और मसलने लगा, मैं बस आँख बंद करके मजा ले रही थी.
फिर उसने मुझे गले लगा लिया, मेरे गोरे शरीर पर उसके विशाल सांवले शरीर को सटा लिया, अपने हाथों को मेरे नितम्बों पर लाया, मेरी पेंटी को मेरे नितम्बों की दरार में घुसा दिया और मेरे नितम्बों को नंगा कर दिया, वो अपने हाथों को धीरे धीरे मेरे नितम्ब पर गोल गोल घुमाने लगा और फिर जोर से दबाने लगा, उसका मुँह मेरे गालों पे, गर्दन पे घूम रहा था, उसने अपना एक हाथ मेरे नितम्ब से हटाया और मेरे सर के पास लाया, फिर एक गाल पर चार उंगलियाँ और एक गाल पे अंगूठा रख कर मेरे सर को पकड़ कर मुझे जबर्दस्त किस करने लगा.
वो बहुत जंगली तरीके से सब कुछ कर रहा था, मैंने बचावात्मक तरीका अपनाया और मजा लेने लग गई.
सब कुछ वो ही कर रहा था.
मेरी पेंटी के इलास्टिक को पकड़ कर उसने मेरी पेंटी जांघों तक नीचे की, फिर अपने पैर के अंगूठे में पकड़ कर नीचे की, मैंने भी अपने पैर उठा कर उसकी मदद की.
मैं अब पूरी नंगी हो गई थी, मेरा एक पैर पकड़ कर उसने सीढ़ी के दूसरे स्टेप पे रखा, उससे मेरे पैर फ़ैल गए. उसने भी अपने पैर फैला लिए और अपने लंड को अपने हाथों से पकड़ कर मेरी योनि के पास ले आया.
मैं उसे मना करने लगी पर वो अब सुनने के मूड में नहीं था- एक बार लेकर तो देखो, बार बार मांगोगी! वो बोला.
‘नहीं… प्लीज नहीं!’
मैं उसे मना करने लगी ‘नहीं… प्लीज नहीं!’
मैं ऊपर ऊपर से ना कह रही थी.
वो अपना एक हाथ मेरे योनि पे लाया, मेरी योनि ने बहुत पानी छोड़ दिया था, उसने उंगलियों से मेरी योनि को छेड़ा तो मेरा पानी उसकी उंगलियों पर लग गया.
‘साली छिनाल, नौटंकी करती है, चूत ने देख कितना पानी छोड़ा है!’ उसने अपनी उंगलियों को सूंघ लिया.
‘वाह क्या खुशबू है तेरी चूत के रस की!’ फिर उसने अपनी उंगलियों को चाट लिया- रंडी साली, तेरी चूत का स्वाद भी बहुत अच्छा है!
उसका गन्दा बोलना शुरू रखते हुए उसने अपना लंड मेरे योनि तक लाया, मुझे एक हाथ से जोर से पकड़ा, फिर अपना लंड मेरी योनि मुख पे रखा और मुझे कुछ समझ में आने से पहले एक जोर का धक्का दिया.
‘आह ! माँऽऽऽ’ मैं जोर से चिल्लाई और अपने नाख़ून उसके कंधे में गड़ा दिए.
उसने मेरी तकलीफ पर जरा भी ध्यान नहीं दिया और फिर एक बार जोर से धक्का देकर अपना लंड जोर से मेरी योनि के और अंदर डाल दिया.
‘आऽऽऽह! हे भगवान! बहुत बड़ा है तुम्हारा!’ मैं चिल्लाई.
‘बहुत टाइट चूत है तेरी, मजा आ रहा है!’ वो धक्कों पे धक्के लगाते जा रहा था.
‘कुत्ते कितना बड़ा लंड है तेरा, उम्म्ह… अहह… हय… याह… मेरी योनि फट गई.’
‘आऽऽह आऽऽह आऽऽह’ उसके हर धक्के के साथ मैं सिसकारियाँ लेने लगी, मैं भी उसके रंग मैं रंगने लगी थी.
‘योनि नहीं चूत बोल!’ उसने स्पीड से धक्के देना चालू रखा.
‘नालायक कितना बड़ा लंड है तेरा, रुकने का नाम ही नहीं ले रहा, चूत फड़ेगा आज मेरी!’ मैं चुदाई के नशे में कुछ भी बोल रही थी.
कुछ भी कहो ‘बड़ा लंड चूत में लेने का मजा ही कुछ और है.’
उसका मजबूत शरीर, जंगली जैसा मेरे शरीर से खेलना, गन्दी बातें करना और सबसे ज्यादा अपने विशाल लंड से जोरदार और न रुकते हुए धक्के लगाना… इन सबसे आगे में कब तक टिकने वाली थी?
और मैं जोर से झड़ गई, मैं अब ठीक से खड़ी भी नहीं रह सकती थी, मेरी पूरी ताकत खत्म हो गई थी, मैंने अपना पूरा शरीर उसकी बांहों में छोड़ दिया.
‘बस रुको अब… मैं झड़ गई!’ मैं उसको बोली.
लेकिन वो तो हरामी निकला, मुझे बांहों में पकड़ के उसने मेरी चूत को फाड़ना चालू ही रखा, उल्टा उसका जोश और भी बढ़ गया, मैं उसकी बांहों में दब गई थी और उसका मेरी बुर को पेलना चालू ही था, मैं अब चिल्लाने लगी, झड़ने के बाद अब मुझे उसके धक्के सहन नहीं हो रहे थे- हरामखोर… झड़ गई हूँ फिर भी मेरी चूत को कूट रहा है… निकाल बाहर… प्लीज, प्लीज ना!’ मैं उसे गाली भी दे रही थी और रिक्वेस्ट भी कर रही थी.
मैं पूरी थक गई थी, मुझे आराम चाहिये था, उसने उसका लौड़ा बाहर निकाला तो मुझे कुछ सुकून मिला, उसने मुझे मेरे दोनों हाथों से सीढ़ी को पकड़ने के लिए बोला.
‘क्या कर रहा है ये? मुझे सीढ़ी क्यों पकड़ने के लिए बोल रहा है?’ मैं मन ही मन सोच रही थी, और उसके कहे जैसे सीढ़ी पकड़ ली.
मेरे पीछे खड़ा रहकर उसने भी मेरे जैसे ही सीढ़ी पकड़ ली, उसका लंड मेरी गांड को चुभ रहा था, उसने एक हाथ से मेरा एक पैर पकड़ के हवा में उठा लिया, और पीछे से अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया.
‘ओह गॉड! तो उसको पीछे से चोदना था इसलिए मुझे ऐसा खड़ा किया है!’
उसने पीछे से एक जोर का धक्का दिया, वैसे मैं दर्द से चिल्ला उठी- आऽऽऽह…
मैं अपना पूरा मुँह खोल कर चिल्लाई पर उस पर कोई असर नहीं हुआ.
‘ऐसा चोदता है क्या तेरा पति?’ उसने मुझसे पूछा.
‘हरामखोर छोड़ मुझे!’ मैं दर्द से बोली.
‘अब गालियाँ दे… मजा आता है तेरे मुँह से गालियाँ सुनने में!’ ऐसा कहकर वो मेरी कमर पकड़कर जोरदार धक्के लगाने लगा और मेरी गांड पे चपत लगाने लगा. एक हाथ से वो मेरे स्तन दबा रहा था, दूसरे हाथ से मेरी गांड पे चपत लगा रहा था और अपने विशाल लंड से मेरी चूत को कूट रहा था, ऐसे तीनों तरफ से चढ़ाई कर रहा था.
‘भोसडी के जल्दी कर…’ मैंने अपने पति से सुनी हुई गाली उसको दी.
‘अच्छी गाली देती हो, पति ने सिखाई क्या?’
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गाली के साथ मुझे मेरा पति भी याद आ गया और उसका खाने का टाइम भी याद आ गया, मैंने घबरा कर दीवार पर देखा पर वहाँ पर घड़ी ही नहीं थी, पेंट करने के लिए उतार कर रखी थी.
‘मेरे पति का घर आने का टाइम हो गया है!’ मैंने घबराते हुए उससे कहा.
उसने झट से अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मुझे हाथ से हिलाने के लिए बोला, उसने नीचे से मेरी पेंटी उठाई और अपना सारा वीर्य मेरी पेंटी पे गिरा दिया, उसके लंड से वीर्य की पिचकारी निकल रही थी और मेरी पेंटी पर गिर रही थी.
उसने फिर अपना शर्ट हैंगर से लिया और मोबाइल निकाल के टाइम देखा- अभी तो 12:30 ही बजे हैं, तेरे पति के आने में अभी एक घंटा बाकी है.
‘हाँ… पर मुझे खाना तो बनाना है ना, हटो अब मुझे खाना बनाने दो!’ मैं उसे बाजु करने लगी तो उसने मुझे अपने पास खींचा और एक किस किया- मजा आया ना?
मुझसे पूछा.
मैंने हाँ में सर हिलाया तो वो मुझे और एक किस करके बाजु हट गया.
मैंने अपने सारे कपड़े ढूंढे, पेंटी मिली पर वो पेंटर के सफ़ेद रंग से रंगी हुई थी, पर ब्रा नहीं मिल रही थी. मैंने बाकी के कपड़े पहन लिए पर ब्रा मिल नहीं रही थी, मैं परेशान हो गई.
पेंटर ने अपने कपड़े पहन कर काम करना शुरू कर दिया था, उसने प्राइमर का डिब्बा उठाया तो मेरी ब्रा उस डिब्बे में मिली, उसने ब्रा बाहर निकली, पेंटी पे उसने खुद रंग डाला था, और मेरी ब्रा निकाल कर उसने डिब्बे में डाली थी, इस तरह से उसने मेरे दोनों अंडर गारमेंट्स को रंग दिया था.
मैंने ब्रा को कचरे में फेंक दिया और पेंटी को धो दिया.
फिर नहा कर फ्रेश हो गई, गाऊन पहना और नीचे आकर खाना बनाया.
पेंटर नीचे के रूम को रंग रहा था, थोड़ी देर में मेरे पति आ गये, बाकी सब जगह सामान पड़ा था तो हम किचन में ही खाना खाने वाले थे, मैं किचन काउंटर पे खड़ी थी, मेरे पति ने पीछे से आकर मुझे गले लगा लिया, आज वो बहुत मूड में दिख रहे थे, पर उसको क्या पता था एक घंटे पहले ही मैं जम कर चुदी थी.
‘क्या कर रहे हो, पेंटर घर में है!’ मैंने पेंटर के डर से मेरे पति को दूर धकेल दिया.
‘आज तुम्हारी स्मेल कुछ अलग ही आ रही है!’ मैं डर गई पर चेहरे पर कुछ नहीं दिखाया.
‘घर में पेंट चालू है, तो बीवी से फूलों जैसी स्मेल थोड़ी आएगी!’ मैंने उससे कहा.
‘उसने मुझे पीछे से जोर से पकड़ लिया और मेरे कान में बोला- बहुत बड़ा आर्डर मिला है, मुझे दिल्ली जाना पड़ेगा.
‘अरे वाह…’ मैंने कहा.
‘जाने से पहले मेरा मुँह मीठा कर दो!’ उनका मुँह मीठा करना मतलब सेक्स करना!
‘हे भगवान… अभी एक घंटे पहले मुझे पेंटर ने जमकर चोदा था, इतनी जल्दी मैं कैसे सेक्स करने वाली थी, मेरा तो जान ही जानी बाकी रह गई थी, पर ना बोला तो उनको शक होगा!’ मैंने मन ही मन सोचा.
‘क्या हुआ मेरी जान… इतना क्या सोच रही हो?’ उसने मुझे पूछा.
‘कुछ नहीं, अभी घर में पेंटर है, काम चालू है, कैसे करेंगे?’ मैंने पूछा.
‘अरे हम किचन में ही करेंगे क्या, ऊपर जाते हैं ना बैडरूम में!’ पति ने बोला.
‘पर उसे कुछ चीज़ की जरुरत पड़ी तो?’ मैंने पूछा.
‘एक बार काम शुरू किया तो उनको कुछ नहीं लगता!’ ऐसा कह कर हम खाने से पहले सेक्स करने का प्लान बना कर ऊपर जाने लगे, मेरे पति पहले चले गए.
मैं पेंटर के कमरे में गई और उसे बोला कि कुछ जरूरत हो तो आवाज देना, हम ऊपर हैं.
‘चुदाई करने जा रहे हो क्या?’
मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया और हंस कर वहाँ से ऊपर जाने लगी, ऊपर जाके मैंने दरवाजा बंद किया.
रिक्शावाले ने जवान लड़की की बुर फाड़ी
नमस्कार दोस्तो, कैसे हो सब? मैं खुशी, आपके लिए एक कहानी लेकर हाजिर हूँ. इसमें मैं बताऊंगी कि कैसे मेरी पहली चुदाई एक रिक्शेवाले से हुई थी.
कोलेज गर्ल टीन सेक्स कहानी शुरू करने से पहले थोड़ा मेरे बारे में जान लें.
दोस्तो, मेरी उम्र 21 साल है. ये कहानी उस वक्त की है जब मैं 12वीं क्लास में थी. उस समय मेरी उम्र 19 साल थी.
मेरा फिगर उस समय 32-28-34 का था.
मैंने कभी सेक्स नहीं किया था. उस वक्त मेरा सेक्स करने का बहुत मन करता था इसलिए मैं अपनी चूत में उंगली, पेन, पेंसिल आदि भी डाल लेती थी.
हमारे घर के पास कुछ कुत्ते रहते थे.
उनके बीच एक ही कुतिया थी. वो उसको चोदते थे तो मैं उनको देखा करती थी.
उनको देख मेरा मन भी चुदने का करने लगता था.
मैं सोचा करती थी कि कोई मुझे भी कुतिया की तरह ही चोद दे.
एक बार मैं कोलेज से वापस आ रही थी. मेरे पास पैसे नहीं थे.
मेरा घर कोलेज से बहुत दूर था. कोलेज के लिए मुझे रिक्शा करके जाना पड़ता था.
उस दिन कोई रिक्शा वाला जाने के लिए तैयार नहीं था.
मैंने बहुत बोला कि मैं घर पहुँच कर पैसे दे दूंगी मगर वो नहीं मान रहा था.
फ़िर कुछ देर बाद एक रिक्शा वाला तैयार हुआ.
उसकी उम्र लगभग 45 साल थी.
मैं उसके रिक्शा में बैठ गई और हम चल पड़े.
कुछ दूर चलने के बाद सुनसान रास्ते पर पहुँच गए हम!
अचानक रिक्शा की चेन उतर गई.
उसने रिक्शा साइड पर रोका और चेन चढ़ाने लगा.
जब वो चेन चढ़ा रहा था तो उसकी नज़र मेरे पैरों के बीच पड़ी.
मैं इस सब से अनजान पैर खोल कर आराम से बैठी थी.
उसने मेरी गोल जांघों के साथ मेरी पैंटी भी देख ली.
उसके बाद वो चेन चढ़ाकर चलने लगा तो वो मुझसे बात करने लगा.
बातों बातों में उसने मुझे बताया कि रिक्शे वाले लड़कियों को गंदी नजर से देखते हैं.
इससे मेरी उत्सुकता बढ़ी; मैंने पूछा- किस गंदी नज़र से?
तो वो बोला- तुम नहीं समझोगी.
मैंने बोला- आप समझाओ मुझे … ताकि मैं इन सब चीजों का ध्यान रख सकूं.
तो वो बोला- बुरा मान जाओगी.
मैंने कहा- नहीं मानूंगी.
तो वो बोला- वो ऐसे बात करते हैं … कि गोरी लड़कियों के वहां भूरे बाल होते हैं काले नहीं होते.
मैं बोली- ऐसा तो नहीं है.
तो वो बोला- तो कैसे होते हैं?
मैं बोली- काले ही होते हैं.
वो बोला- नहीं, मैं तो नहीं मान सकता. मैंने तो यही सुना है.
उसकी बातों से मेरे अंदर सेक्स जागने लगा.
मेरी चूत की बात एक अधेड़ उम्र का आदमी कर रहा था.
मैं जान गई थी कि वो जानबूझकर ये सब बातें कर रहा था.
मगर मैं अब खुद चाहती थी कि वो ऐसी ही बातें करे.
मैं बोली- आपने जो भी सुना हो लेकिन मैं तो एक लड़की हूं. मुझे तो पता होगा ना कि कैसे होते हैं.
वो बोला- मुझे दिखा सकती हो क्या?
मैं बोली- नहीं, आप ये कैसी बात कर रहे हैं?
इस पर वो कुछ नहीं बोला.
फिर एक मिनट रुक कर उसने कहा- अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें फ्री में घर तक छोड़ दूंगा. कोई किराया नहीं लूंगा. बस एक बार तुम्हें अपनी दिखानी होगी मुझे. मेरा देखने का बहुत मन है. क्या तुम मुझे दिखा सकती हो?
फिर भी मैंने साफ मना कर दिया.
वो बोला- मैं तुम्हें बस स्कर्ट उठाने के 500 रुपये दे सकता हूं. सोच लो?
अब केवल स्कर्ट उठाने के मुझे 500 रुपये मिल रहे थे तो मेरे मन में लालच आ गया.
मैं तैयार हो गई और बोली- ठीक है, पहले रुपये दो.
ये सुनते ही उसने रिक्शा रोक दिया और अपनी जेब में से 500 रुपये निकाल कर दे दिये.
मैंने रुपये बैग में रख लिये.
सड़क के पास ही खेत थे; खेत में सरसों उगी हुई थी.
वो बोला- खेत में चलो, वहां दिखाना … यहाँ सड़क पर कोई देख सकता है.
मैं अपना बैग वहीं रिक्शा में छोड़कर खेत में चली गई.
मैं थोड़ी दूर जाकर बैठ गई.
बैठने के बाद मैं दिखाई नहीं दे रही थी.
मेरे पीछे पीछे वो आ गया और पास में बैठ गया.
फ़िर मैंने शर्माते हुए अपनी पैंटी उतार दी और पास में रख दी.
जैसे ही मैंने स्कर्ट उठाई … वो मेरी चूत देखता रह गया.
दो मिनट के बाद मैंने स्कर्ट नीचे कर दी.
तब उसको होश आया.
वो बोला- तुम्हारी चूत बहुत अच्छी है. मैंने आज तक ऐसी चूत नहीं देखी.
फ़िर बोला- अगर मुझे अपने बूब्स दिखा दोगी तो मैं और 500 रुपये दूंगा.
ये बोलते हुए उसने 500 का नोट मेरी तरफ बढ़ाया.
मैंने बिना सोचे नोट पकड़ लिया.
फ़िर वो बोला- दिखाओ तो?
मैं अपनी शर्ट के बटन खोलने लगी.
शर्ट खोलकर ब्रा ऊपर करते ही मेरे 32 के बूब्स उसके सामने आ गए और वो उन्हें मसलने लगा.
मेरे निप्पल हार्ड हो गए.
इसके बाद वो बोला- तुम्हारी चूत बहुत सुंदर है. मैं फ़िर से देखना चाहता हूं.
तो मैंने स्कर्ट उठा ली.
वो मेरे पैरों के बीच में सिर डालकर बिल्कुल पास से मेरी चूत देखने लगा.
उसकी गर्म साँसें मुझे अपनी चूत पर महसूस हो रही थीं.
अचानक उसकी जीभ मेरी चूत पर लगी … तो मेरी पूरी बॉडी में करंट सा लगा.
मैं झटके से ऊपर हो गई और बाली- क्या कर रहे हो?
तो वो बोला- स्वाद देख रहा था तुम्हारी चूत का!
मैंने पूछा- कैसा है?
वो बोला- तुम तो पहले ही ऊपर हो गई. ठीक से देखने दो.
वो मुझे जांघों से पकड़ कर मेरी चूत चाटने लगा.
मेरे लिए ये सब बिल्कुल नया था; मुझे बहुत मजा आ रहा था.
मैं उसे रोक भी नहीं पाई और अपने पैर पूरे खोल दिये जिससे उसकी जीभ मेरी चूत में पूरी जा सके.
वो मेरी चूत के दाने पर अपनी जीभ घुमाने लगा.
मैं पागल सी होने लगी.
वो कभी मेरी चूत में अंदर तक जीभ को घुसा रहा था.
मैं भी अपनी चूत उसके मुंह पर दबा कर पूरा आनंद ले रही थी.
अचानक वो रुक गया और मुंह उठाकर बोला- तुम मेरा देखना चाहोगी?
मैंने हाँ में गर्दन हिला दी तो उसने अपना पजामा नीचे कर दिया और उसका लंड बाहर निकल आया.
मैं उसका सांवला मोटा लंड देखकर डर गई.
वो बोला- डरो नहीं, इसे पकड़ने में मजा आता है. चाहो तो हाथ लगाकर देख लो. मैं पैसे नहीं लूंगा दिखाने के!
तो मैंने उसका लंड पकड़ लिया.
मेरे पकड़ते ही उसका लंड और कठोर हो गया.
मैं उसकी खाल आगे पीछे करके देखने लगी.
तभी वो बोला- एक किस तो कर दो लंड पर?
मैं उसकी तरफ देखने लगी.
उसने लंड मेरे मुंह के आगे कर दिया.
मैंने भी एक छोटी सी किस उसके लंड पर कर दी.
मुझे बहुत अजीब लगा क्योंकि ये मेरा पहली बार था.
किस करने के बाद वो बोला- तुम भी टेस्ट करके देखो कैसा है मेरे लंड का स्वाद?
ये बोलकर उसने अपना लंड मेरे मुंह के पास कर दिया.
मैंने आँखें बन्द कर लीं और उसका लंड पकड़ कर मुंह में ले लिया.
उसका बहुत अजीब स्वाद था लेकिन जब मैं उसको चूसने लगी तो वो मुझे अच्छा लगने लगा.
मैंने एक हाथ से उसका लंड पकड़ लिया और उससे उसकी खाल पीछे करके आगे का टोपा आराम से चूसने लगी.
लंड के टोपे के अंदर से नमकीन सा पानी आ रहा था.
अब उसका लंड बहुत ज्यादा कठोर हो गया और वो आदमी कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गया.
मैं भी उसके लंड को ऐसे चूसने लगी जैसे बोतल में नली डालकर जूस पीते हैं.
वो मेरे बूब्स को दबाने लगा. वो बोला- हां … आह्ह … चूस चूसकर इसको पूरा गीला कर दो. इसमें से और भी अच्छा रस निकलता है.
उसके कहने पर मैं उसके लंड को मुंह से निकाल कर उस पर जीभ फिराने लगी.
मैंने उसका पूरा लंड गीला कर दिया.
इसके बाद वो मेरे पैरों के बीच में आ गया.
वो मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा.
मुझे डर भी लग रहा था और मजा भी आ रहा था.
कुछ देर रगड़ने से मेरी चूत और गीली हो गई.
उसने अपने लंड का सुपारा मेरी चूत के छेद पर सेट किया और मेरे ऊपर झुक गया.
फ़िर मेरे बूब्स दबाए और मेरे मुंह पर हाथ रख कर अपनी कमर आगे कर दी.
उसका आधा लंड एक झटके में मेरी चूत में घुस गया और मुझे लगा मेरी साँस ही रुक गई.
वो वहीं रुक गया.
मेरी आँखों से आँसू आने लगे.
तभी उसने दूसरा झटका मार कर अपना पूरा लंड मेरे कमसिन चूत के अंदर घुसा दिया.
मेरी आँखों के सामने अंधेरा आ गया.
वह इस सबसे बेखबर मेरी ताबड़तोड़ चुदाई में लगा था.
उसका लंड मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा था.
धीरे धीरे मेरा दर्द भी कम हो गया.
मुझे भी मजा आने लगा.
मैं भी गांड उठा उठाकर उसके धक्कों का जवाब देने लगी.
मेरी चूत में से पानी निकल रहा था जिससे उसका लंड चिकना होकर और भी मजे दे रहा था.
उसकी इस जबरदस्त चुदाई से मैं एक बार झड़ चुकी थी लेकिन उसकी रफ्तार अभी भी कम नहीं हुई थी.
अचानक उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी और 10-12 जोरदार धक्के लगाकर लंड पूरा जड़ तक घुसा दिया.
इसी पल मेरी चूत में गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी भरने लगी.
उसने मेरी चूत को कई पिचकारी मारते हुए अपने वीर्य से भर दिया.
फिर वो ऐसे ही मेरे ऊपर लेट गया.
कुछ पल के बाद वो एक तरफ हुआ और मेरी पैंटी से अपना लंड साफ कर लिया.
उसके बाद उसने मेरी चूत को भी साफ किया.
उसका रस अभी भी टपक रहा था.
फ़िर वो कपड़े पहनकर बोला- पहले मैं बाहर जाता हूं, फ़िर तुम आना.
ये बोलकर वो रिक्शा के पास चला गया.
मैंने भी ब्रा और पैंटी पहन ली. मैंने अपनी शर्ट के बटन बंद किये और सड़क पर चली गई.
वो बोला- तुम गर्भवती हो सकती हो … इसलिए कल मुझे मिलना कोलेज के बाहर … मैं तुम्हें दवाई दे दूंगा.
मैं बोली- ठीक है.
फ़िर उसने मुझे घर छोड़ दिया.
दोस्तो उस दिन मैं पहली बार सेक्स करके आई थी.
मुझे पहली बार चूत में लंड का अहसास मिला था.
अब तक मैंने सिर्फ नंगी फिल्में देखी थीं और चुदाई की बातें ही सुनी थीं.
मगर आज मैं चुदाई का एक्सपीरियंस लेकर आई थी.
सच बताऊं तो ऐसा लग रहा था जैसे जिन्दगी में नई बहार आ गई है.
मेरा पहला स्खलन चुदते हुए हुआ था.
मैं बहुत खुश थी.
ऐसा लग रहा था जैसे चूत की जोरदार मालिश करवाकर आई हूं.
घर आने के बाद मैं वॉशरूम में गई.
मैंने अपनी पैंटी उतार दी, बाथरूम में अपनी चूत को शीशे में देखा.
मेरी चूत फूली हुई लग रही थी.
आज वो बहुत सुंदर लग रही थी.
लंड की रगड़ से चूत के होंठ एकदम से लाल हुए पड़े थे और अजब सी सुरसुरी चल रही थी चूत की फांकों में.
मैं पेशाब करने नीचे बैठ गयी.
जब गर्म गर्म पेशाब निकला तो चूत में चीस उठी.
मगर फिर वही गर्म गर्म पेशाब मेरी चूत में आराम देने लगा.
फिर मैंने गर्म पानी से चूत को धोया और उस पर क्रीम लगाई ताकि दर्द जल्दी से कम हो सके.
उस रोज मुझे रात तक ऐसा लगता रहा जैसे अभी अभी मेरी चूत से लंड चोदकर निकला हो.
मुझे दर्द भी हो रहा था और चलते हुए चूत में लंड से चुदने का बार बार अहसास भी हो रहा था.
वो अहसास आज भी वैसा ही याद है और मेरी यादों में ताज़ा है.