Sunday, November 26, 2023

Didi ki madmast jawani ko budhe ne loota

 ये कहानी तब की है जब मे 11 क्लास मे पढ़ता था . मे अपने चाचा जी के घर


पर पढ़ाई कर रहा था क्योंकि मेरा घर गाँव मे था और वाहा कोई अच्छा स्कूल

नही था इसलिए मेरे चाचा मुझे अपने साथ अपने घर ले आए थी. उनका घर काफ़ी

बड़ा था. अब मुझे मिलाकर घर मे चार मेंबर हो गये थी . पहले और घर के बड़े

चाची जी और चाची जी और उनकी एक लोति संतान अंजलि दीदी जिनकी उम्र उस वक्त

23 थी और चोथा था मे ( अनुज ).

अंजलि दीदी बहुत खूबसूरत थी उनकी हाइट 5' 5" , स्लिम , गोरा रंग और जो

मुझे सबसे ज़्यादा पसंद थी वो थी उनके रेशमी लंबे बाल जो कि उनकी लो बेक

तक आते थे. कुल मुलाकर अंजलि दीदी किसी फिल्म आक्ट्रेस से काम नही लगती

थी. वो मुझे बहुत प्यार्कर्ती थी इसकी वजह शायद ये भी थी कि उनके कोई

अपने छोटे भाई बहन नही थे. सो मेरे घर मे आने से वो अब अकेला महसूस नही

करती थी . अंजलि दीदी एम.कॉम कर रही थी उनकी मैथ बहुत अच्छी थी . सो वो

मुझे अक्सर मैथ मे हिल्प कर दिया करती थी. मेरे स्कूल मे मेरे ज़्यादा

फ्रेंड नही थे सिर्फ़ गिने चुने दोस्त थे. राज भी उनमे से एक था ..वो

पढ़ाई लिखाई मे कम और गुंडा गर्दि मे ज़्यादा लगा रहता था …उसकी मेरी

दोस्ती तब हुई थी जब मे स्कूल मे नया आया था. मे नया नया गाँव से आया था

सो ज़्यादा पता नही था सहर के लोगो के बारे मे इसलिए कुछ सीनियर लड़को ने

मुझे स्कूल मे पकड़ कर मेरे पैसे छीनने चाहे ..मे बहुत डर गया था..पर

मैने उन्हे पैसे देने से इनकार कर दिया ..तब एक लड़के ने मेरा गिरेवान

पकड़ कर मुझे मुक्का मारना चाहा कि तभी कही से राज आ गया वो लंबा चौड़ा

था ..उसको देख कर उन लड़को ने मुझे छोड़ दिया..तब से ही हम दोस्त थे…

मेरा स्कूल बाय्स स्कूल था सो एक दिन क्लास मे जब मे लंच टाइम मे लंच कर

रहा था तो राज मेरे पास आया और बोला .." अबे क्या अकले अकेले खा रहा है …

मैने उसको बोला ले भाई तू भी खा ले …वो हस्ने लगा और बोला जल्दी खाना खा

तुझे एक अच्छी चीज़ दिखाता हू….उसका चेहरा चमक रहा था..मुझे भी उत्सुकता

थी ज़ल्दी खाना खाया और फिर बोला " हा. राज बता क्या बात है' तब राज ने

इधर उधर देखा ..क्लास मे और कोई नही था ..उसने अपने बेग मे हाथ डाला और

के छोटी सी किताब निकाल ली…मैं बड़े ध्यान से उसे देख रहा था….जैसे ही

उसने वो किताब खोली मेरे रोंगटे खड़े हो गये ..उस किताब मे जो फोटो थी

उनमे लड़कियो की नंगी तस्वीरे थी….मेरा चेहरा लाल हो गया था शरम से. मुझे

देख राज हंस पड़ा. और बोला." अबे चुतिये क्या हुआ ..तेरी गांद क्यो फॅट

रही है…" मैने अपनी ज़िंदगी मे पहली बार ऐसे फोटो देखी थी .. मैने कहा

राज कोई देख लेगा यार..अगर पकड़े गये तो बहुत पिटाई होगी..तब राज बोला तू

तो बड़ा फटू है साले इतनी मुस्किल से तो इस किताब का जुगाड़ किया है मैने

..फिर वो उसके पन्ने पलट ने लगा ..दूसरे पन्नो मे एक आदमी खड़ा था और एक

लड़की उसका लंड अपने मूह मे ले रही थी..मुझे बहुत डर लग रहा था पर अब

मेरी इच्छा और बढ़ गई थी मे उस बुक को पूरा देखना चाहता था…तभी स्कूल बेल

बजी जिसका मुतलब था कि लंच टाइम ख़तम हो गया है ..राज ने उस किताब को

वापस अपने बेग मे रख लिया क्योंकि बाकी बच्चे क्लास मे आने लगे थे…मुझे

बड़ा गुस्सा आया क्योंकि मुझे उस किताब की बाकी फोटो भी देखनी थी ..पर

क्या करता क्लास अब बच्चो से भर चुकी थी और साइन्स का टीचर क्लास मे एंटर

हो चुका था.

उस दिन जब मे छुट्टी होने के बाद घर गया तब घर पर चाची ही थी . चाचा जी

तो ऑफीस से शाम को आते थे और अंजलि दीदी 4 बजे कॉलेज से आती थी . खैर

मैने खाना खाया और अपने कमरे मे थोड़ा आराम करने के लिए चला गया ( मे

आपको ये बता दू अंजलि दीदी और मेरा कमरा एक ही था बस बेड अलग थे

).गर्मियो के दिन थे सो मुझे नींद आ गयी..मुझे सपनो मे भी वोही तस्वीरे

..वो नंगी लड़किया..उनकी बूब्स..नज़र आ रही थी..कि तभी मुझे कुछ गिरने की

आवाज़ आई ..मैने अपनी आँखे खोली तो देखा की दीदी के बेड पर कुछ बुक्स

पड़ी है जिसका मुतलब सॉफ था कि दीदी घर आ चुकी है…तभी मेरी नज़र अपने

पाजामे पर गयी..उसका टेंट बना हुआ था ..मेरा लंड उन फोटो को याद करते

करते खड़ा हो चुका था..वो तो अच्छा था कि मे उल्टा सोया था नही तो दीदी

उसको देख सकती थी..मे उठ कर बैठा ही था कि अंजलि दीदी कमरे मे आए उन्होने

पिंक सूट और ब्लॅक सलवार पहने हुए थी . " और मिस्टर जाग गये तुम….कितना

सोते हो.." अंजलि दीदी अपना दुपट्टा उतार कर स्टडी टेबल पर रखते हुए

बोली….मे अभी भी थोड़ा नींद के नशे मे था …दुपपता उतारने से उनके बूब्स

और उभर कर बाहर आ गये थे..और मेरे नज़र सीधी उनपर गयी…वैसे तो मे दीदी को

काई बार विदाउट दुपपता देख चुका था फिर पता नही आज उनके बूब्स देखते ही

मेरा दिमाग़ उन नंगी लड़कियो के बूब्स को दीदी के बूब्स से कंपेर करने

लगा और मेरे लंड ने ज़ोर से झटका लिया..ऐसा मेरे साथ पहले बार हुआ था…"

दीदी बहुत थक गयी थी..पता नही कब नींद लग गयी मुझे." मैने दीदी की तरफ

देखा जो कि अपने बेड पर बैठ गयी थी..तभी दीदी ने कुछ ऐसा किया के मेरे

लंड ने दोसरा झटका मारा दीदी ने अपने जुड़े की पिन खोली और उनकी लंबे

सेक्सी रेस्मी बाल खुल गये फिर दीदी ने उनको आगे किया और मुझे देखते हुए

बोली " क्या हुआ मिस्टर. ऐसे क्या देख रहा है तू.." मेरा तो चहरा एक दम

से लाल हो गया मुझे ऐसा लगा जैसे की मे चोरी करते हुए पकड़ा गया हू… मे

घबरा कर बोला..एमेम…ह्म्म…का .कुकुच ..नही दीदी …वो आपके बाल …" मेरा गला

सुख चुका था. दीदी हस्ते हुए अपने बेड से उठ कर मेरी बगल मे बैठ गयी.

मुझे उनके बदन पर लगे डीयोडरेंट की खुशुबू आ रही थी..और साथ मे डर भी लग

रहा थी कि कही दीदी मेरे पाजामे की तरफ ना देख ले…खैर ऐसा कुछ नही हुआ और

दीदी ने मुझे गाल पर एक किस दिया और बाहर जाने लगी..मे उन्हे जाते हुए

देख रहा था..उनकी लंबे बाल उनकी कमर पर बड़े सेक्सी तरीके से लहरा रहे

थे..और मुझे चिड़ा रहे थे…

" अबे वो किताब कैसे लगी थी तुझे…मज़ा आया था." राज मुझे चिड़ाते हुई

बोला. हम क्लास मे पिछले डेस्क पर बैठे थे.

" कितनी बार मूठ मारा था तूने ..बोल बोल…शर्मा मत.." वो फिर बोला

"मैने ऐसा कुछ नही क्या" मे बोला

"अबे चूतिए वो तो सिर्फ़ फोटो थी …बोल उनकी मूवी देखे गा…ज़ल्दी बोल.."

ये सुन कर मेरे लंड मे हर्कात से होने लगी. और ना चाहते हुए भी मेरे मूह

से निकला " क..कहा..देखेंगे "

वो तू मुझ पर छोड़ दे ..चल स्कूल के बाद मेरे साथ चलना और.मैने हा मे सिर

हिला दिया.

स्कूल की छुट्टी होते ही राज मुझे स्कूल के पास वाले साइबर केफे ले

गया..हमने कोने वाली एक सीट ली ..कंप्यूटर को राज ओपरेट कर रहा था ..जिस

तरह से वो कंप्यूटर चला रहा था उससे पता लगता था कि वो इस काम मे काफ़ी

एक्ष्पर्त है..मैने उसे कई बार इस साइबर केफे से आते जाते देखा था…तभी

उसने कोई साइट खोली और सामने नंगी लड़कियो की तस्वीर आनी शुरू हो गयी..

ये सब देखते ही मेरा गला सूख गया मे ये सब पहली बार देख रहा था..फिर राज

ने किसी लिंक पर क्लिक किया और कुछ सेकेंड बाद एक क्लिप प्ले होने लगी

..उसमे एक आदमी एक लड़की के उप्पर चढ़ा हुआ था..लड़की झुकी हुई थी और वो

आदमी ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था….ये देखते ही मेरा लंड ना जाने क्यू

मेरी पॅंट मे खड़ा हो गया ..

" इसको चुदाई कहते है ..देख कैसे चोद रहा है लड़की की चूत को….."

मे कुछ बोल नही रहा था मेरी आँखे तो कंप्यूटर स्क्रीन से चिपक गयी थी

..मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था. ..और मन मे ये डर भी था कि कही कोई हमे

पकड़ ना ले ये सब देखते हुए..
rajaarkey
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Re: अंजाना रास्ता

Unread post by rajaarkey » 13 Oct 2014 14:59

अचानक मेरी आँखे नीचे गयी और मैने देखा कि राज के पेंट मे भी टेंट बना

हुआ है…सिर्फ़ अंतर इतना था कि उसका टेंट काफ़ी बड़ा लग रहा था.. मैने

फिर से कंप्यूटर की तरफ़ देखा..अब वहा दूसरी क्लिप चल रही थी ..इसमे एक

काला आदमी की गोरी लड़की को बड़ी बेरहमी से चोद रहा था " गोरी लड़की बहुत

खूबसूरत थी और वो काला आदमी उतना ही बदसूरत..पता नही क्यू इसे देख मेरा

लंड और ज़्यादा कड़क हो गया..क्लिप्स छोटी छोटी ही थी..पर उन छोटी छोटी

क्लिप्स ने मेरे अंदर बड़े बड़े अरमान जगा दिए थे.. हम वहा १ घंटे तक रहे

फिर मे घर आ गया.

"आह….फक मी..ह्म्म…." लड़की चिल्ला रही थी. ये वोही लड़की थी जिसको मैने

उस मूवी क्लिप मे देखा था बस अंतर इतना था कि उस काले आदमी के जगह मे

उसको चोद रहा था…एमेम….ह्म..आ.आ….फक..मी..मेरे आँखे बंद थी . तभी मुझे

कुछ गीला गीला लगा..मेरी आँखे खुल चुकी थी ..और मेरा सपना भी टूट चुका

था…मेरे लंड ने सपना देखते देखते ही पानी छोड़ दिया था…मैने घड़ी की तरफ़

देखा तो रात के 2 बजे थे .कमरे मे नाइट बल्ब जल रह था….. यका यक मेरी

नज़र सामने अंजलि दीदी के बेड पर गयी. जिसको देख तेही मेरे रोंगटे खड़े

हो गये…….

दीदी बिस्तर पर सीधी सो रही थी ..उनकी चूचियाँ बिल्कुल सीधी तनी खड़ी थी

..जैसे जैसे दीदी सास लेती थी वो उप्पर नीचे होती थी…मेरे नज़र तो मानो

उन खोबसुर्रत उभारो पर ही जम गयी थी …अब मुझे अपने पाजामे मे फिर से वो

ही हरकत महस्सूस होनी लगी .मेरा लंड खड़ा हो रहा था….मुझे ये समझ नही आ

रहा थी कि मुझे अपनी दीदी को देख कर क्यू ऐसा लग रहा है..वो मुझे कितना

प्यार करती है ..मुझे अपने उप्पर गिल्टी होने लगी..मे फिर सीधा बाथरूम

गया और पेशाब कर कर अपने बेड पर आकर सो गया.

अगली सुबा मेरी आख 8 बजे खुली.मे उठ कर बैठा और चारो तरफ़ देखा तो पाया

की दीदी का बॅग टेबल पर रखा है. आज दीदी कॉलेज नही गयी शायद. खैर मे उठ

कर फ्रेश हुआ और ड्रॉयिंग रूम की तरफ़ चला ..अंजलि दीदी सोफे पर बैठी

टीवी देख रही थी… दीदी को देखते ही मुझे रात की बात याद आई ..और मेरे

अंदर फिर से गिल्टी फीलिंग आ गयी..

"अरे..मेरा राजा भैया जाग गया..आजा..यहा बैठ मेरे पास.." दीदी मुस्कुराते हुए बोली.

" आप कॉलेज नही गयी दीदी" मैने पूछा.

"लो कर लो बात …तुझे हुआ क्या है आज कल…अरे सनडे को कोई कॉलेज जाता है

क्या " दीदी मुझे अपने पास बैठाते हुए बोली.

ओह आज सनडे है मुझे अपने बेवकूफी पर गुस्सा आया. सच मे पछले कुछ दिनो से

राजके साथ रहकर मैं भी उसकी ही तरह हो गया हू.

"चाची और चाचा जी नज़र नही आ रहे." मे बोला

"अरे हा ..मे तुझे बताना भूल गयी मम्मी पापा आज बुआ जी के यहा गये है .

शाम तक आएँगे…" दीदी टीवी देखते हुए बोली.

"तुझे भूक लगी होगी ना..मम्मी खाना बना कर गयी है ..रुक मे तेरे लिए लाती

हू' और दीदी उठ कर किचिन मे चली गयी. मैने टीवी का रिमोट लिया और चैनल

चेंज करना चाहा पर रिमोट के सेल वीक हो गये थे सो कई बार बटन दबाने के

बाद चैनल चेंज हुआ..मैने बड़े मुस्किल से अनिमल प्लॅनेट चैनल लगाया..मुझे

अनिमल प्लॅनेट चैनल देखना बहुत पसंद था..थोड़ी देर के बाद दीदी खाना लेकर

आ गयी..वो मेरे पास बैठ गयी..हम दोनो ने खाना खाया.फिर दोनो टीवी देखने

लगे.. " तू ज़रूर बड़ा होकर जानवरो का डॉक्टर बनेगा ." दीदी मुस्कुराती

हुई बोली

" क्यू..दीदी" मैं उत्सुकता से दीदी की तरफ़ देखता हुआ बोला

सारे दिन अनिमल प्लॅनेट जो देखता रहता है तू.. दीदी अपने रेशमी बाल खोल

कर अपने सीने पर डालते हुए बोली..मेरा तो बुरा हाल होगया ..एक तो दीदी थी

ही इतनी खोब्सूरत उपर से जब अपने लंबे रेशमी बाल खोल लेती थी तो क्या

काहू..कटरीना कैफ़ भी फैल हो जाती थी उनकी सामने.

" ला अपना लेफ्ट हॅंड दे ..मे तुझे तेरा फ्यूचर बताती हू " कहते हुए दीदी

ने मेरा हाथ अपने हाथो मे ले लिया ( मे आपको बता दू कि दीदी नी लॉस

टी-शर्ट ऑफ पाजामा पहना हुआ था ) . " ओफ्फ….म्म..क्या मुलायम हाथ था दीदी

का..उनके गोरे गोरे हाथो मे मेरे हाथ भी काले नज़र आने लगे थे…

" तू..बड़ा होकर बनेगा ..म्म..एक..जोकर….हा .हा हा.." दीदी हस्ने लगी.

दीदी मज़ाक कर रही थी और मुझे हसाने की कोशिस कर रही थी पर मे तो उनकी

खूबसूरती को निहार रहा था.

पर थोड़ा मज़ाक करने के बाद हम दोबारा टीवी देखने लगे..कुछ 5 मिनट ही हुए

थे कि तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे मेरी ही नही दीदी की भी साँसे रुक गयी

थी….जैसा कि मैने आपको को बताया कि टीवी पर अनिमल प्लॅनेट चल रहा था..सब

कुछ सही चल रहा था ..कुछ ज़ब्रा घास चर रहे थे कि अचनाक एक बड़ा सा

ज़ीब्रा वाहा आया और एक फीमेल ज़ीब्रा की चूत को पीछे से सूंघने लगा..फिर

उसने अपनी ज़ीब निकाली और वो उसकी चूत को चाटने लगा..कॅमरा मॅन ने इसका

क्लोज़ अप लेना सुरू कर दिया..जैसे जैसे वो उसकी चूत चाट रहा था मैने

देखा कि अब कमरे का फोकस उस ज़ीब्रा की टाँगो की तरफ़ था चूत चाटते चाटते

उसका लंड बढ़ता ही जा रहा था..और ये सब मे अकेला नही बल्कि पास बैठी दीदी

भी देख रही थी..पूरे कमरे मे अब सिर्फ़ टीवी की आवाज़ ही आ रही थी..यका

यक पता नही मेरी नज़र दीदी पर गयी…तो मैने पाया कि दीदी बिना आँखे बंद

किए ये सब देख रही है…फिर मेरी नज़र दीदी की गर्दन से नीचे सीधे उनके

उभारो पर गयी..अब वे और ज़्यादा तन गयी थी .और जल्दी जल्दी उपर नीचे हो

रही थी.शायद दीदी की सासे तेज चल रही थी…तभी दीदी की नज़र मुझसे

मिली..कुछ सेकेंड के लिए.ही मिली थी …शर्म से उनका गोरा चहरा लाल हो रहा

था..वो कुछ ना बोली और आगे बाद कर रिमोट उठा कर चैनल चेंज करने लगी..पर

जैसे कि मैने पहले बताया था कि रिमोट के सेल वीक हो गये थे चैनल चेंज नही

हुआ..पर तभी टीवी स्क्रीन पर वो ज़ीब्रा उस फीमेल ज़ीब्रा पर चढ़

गया…मुझे तभी अहसास हुआ कि मेरा हाथ अब भी दीदी के कोमल हाथो मे था जो कि

अब उनकी राइट थाइ पर रखा हुआ था…उनकी सॉफ्ट थाइट की स्किन को मे उनके

पजामे के उपर से महसूस कर सकता था..मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा..उधर

ज़ीब्रा ने एक ही झटके मे अपना विशाल लंड फीमेल ज़ीब्रा की चूत मे घुसा

दिया..और जैसे ही उसने पहला झटका मारा दीदी ने मेरे हाथ को कस कर भीच

लिया..मेरी हालत बहुत बुरी हो गयी…मुझे लग रहा था कि एक तरह से मे दीदी

के साथ बैठा ब्लू फिल्म देख रहा हू..मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया..ज़ीब्रा

लगातार झटके मार रहा था…मुझ पर सेक्स का नशा चढ़ता जा रहा था …कुछ तो उन

जानवरो की चुदाई देख कर ..और कुछ दीदी के नरम हाथो और उनकी गरम जाँघो की

गर्मी..मुझसे रहा नही गया और अचानक मैने अपने हाथो को थोड़ा खोला और

अंजलि दीदी की राइट जाँघ जिस पर मेरा हाथ रखा था को कस्स कर दबा दिया…बस

मेरे लिए ये काफ़ी था और मेरे लंड से पानी छोड़ दिया…वो तो अच्छा था मैने

अन्दर्वेअर और उपर से पॅंट पहनी थी नही तो दीदी को पता चल जाता…तभी

टेलिफोन की घंटी बजी .दीदी तो मानो सपने से जागी उनको शायद ये भी पता नही

था कि मैने उनकी थाइस को दबाया है..वो फॉरन दूसरे कमरे की तरफ़ चली गयी

जहा फोन बज रहा था…..

ये कहानी तब की है जब मे 11 क्लास मे पढ़ता था . मे अपने चाचा जी के घर

पर पढ़ाई कर रहा था क्योंकि मेरा घर गाँव मे था और वाहा कोई अच्छा स्कूल

नही था इसलिए मेरे चाचा मुझे अपने साथ अपने घर ले आए थी. उनका घर काफ़ी

बड़ा था. अब मुझे मिलाकर घर मे चार मेंबर हो गये थी . पहले और घर के बड़े

चाची जी और चाची जी और उनकी एक लोति संतान अंजलि दीदी जिनकी उम्र उस वक्त

23 थी और चोथा था मे ( अनुज ).

अंजलि दीदी बहुत खूबसूरत थी उनकी हाइट 5' 5" , स्लिम , गोरा रंग और जो

मुझे सबसे ज़्यादा पसंद थी वो थी उनके रेशमी लंबे बाल जो कि उनकी लो बेक

तक आते थे. कुल मुलाकर अंजलि दीदी किसी फिल्म आक्ट्रेस से काम नही लगती

थी. वो मुझे बहुत प्यार्कर्ती थी इसकी वजह शायद ये भी थी कि उनके कोई

अपने छोटे भाई बहन नही थे. सो मेरे घर मे आने से वो अब अकेला महसूस नही

करती थी . अंजलि दीदी एम.कॉम कर रही थी उनकी मैथ बहुत अच्छी थी . सो वो

मुझे अक्सर मैथ मे हिल्प कर दिया करती थी. मेरे स्कूल मे मेरे ज़्यादा

फ्रेंड नही थे सिर्फ़ गिने चुने दोस्त थे. राज भी उनमे से एक था ..वो

पढ़ाई लिखाई मे कम और गुंडा गर्दि मे ज़्यादा लगा रहता था …उसकी मेरी

दोस्ती तब हुई थी जब मे स्कूल मे नया आया था. मे नया नया गाँव से आया था

सो ज़्यादा पता नही था सहर के लोगो के बारे मे इसलिए कुछ सीनियर लड़को ने

मुझे स्कूल मे पकड़ कर मेरे पैसे छीनने चाहे ..मे बहुत डर गया था..पर

मैने उन्हे पैसे देने से इनकार कर दिया ..तब एक लड़के ने मेरा गिरेवान

पकड़ कर मुझे मुक्का मारना चाहा कि तभी कही से राज आ गया वो लंबा चौड़ा

था ..उसको देख कर उन लड़को ने मुझे छोड़ दिया..तब से ही हम दोस्त थे…

मेरा स्कूल बाय्स स्कूल था सो एक दिन क्लास मे जब मे लंच टाइम मे लंच कर

रहा था तो राज मेरे पास आया और बोला .." अबे क्या अकले अकेले खा रहा है …

मैने उसको बोला ले भाई तू भी खा ले …वो हस्ने लगा और बोला जल्दी खाना खा

तुझे एक अच्छी चीज़ दिखाता हू….उसका चेहरा चमक रहा था..मुझे भी उत्सुकता

थी ज़ल्दी खाना खाया और फिर बोला " हा. राज बता क्या बात है' तब राज ने

इधर उधर देखा ..क्लास मे और कोई नही था ..उसने अपने बेग मे हाथ डाला और

के छोटी सी किताब निकाल ली…मैं बड़े ध्यान से उसे देख रहा था….जैसे ही

उसने वो किताब खोली मेरे रोंगटे खड़े हो गये ..उस किताब मे जो फोटो थी

उनमे लड़कियो की नंगी तस्वीरे थी….मेरा चेहरा लाल हो गया था शरम से. मुझे

देख राज हंस पड़ा. और बोला." अबे चुतिये क्या हुआ ..तेरी गांद क्यो फॅट

रही है…" मैने अपनी ज़िंदगी मे पहली बार ऐसे फोटो देखी थी .. मैने कहा

राज कोई देख लेगा यार..अगर पकड़े गये तो बहुत पिटाई होगी..तब राज बोला तू

तो बड़ा फटू है साले इतनी मुस्किल से तो इस किताब का जुगाड़ किया है मैने

..फिर वो उसके पन्ने पलट ने लगा ..दूसरे पन्नो मे एक आदमी खड़ा था और एक

लड़की उसका लंड अपने मूह मे ले रही थी..मुझे बहुत डर लग रहा था पर अब

मेरी इच्छा और बढ़ गई थी मे उस बुक को पूरा देखना चाहता था…तभी स्कूल बेल

बजी जिसका मुतलब था कि लंच टाइम ख़तम हो गया है ..राज ने उस किताब को

वापस अपने बेग मे रख लिया क्योंकि बाकी बच्चे क्लास मे आने लगे थे…मुझे

बड़ा गुस्सा आया क्योंकि मुझे उस किताब की बाकी फोटो भी देखनी थी ..पर

क्या करता क्लास अब बच्चो से भर चुकी थी और साइन्स का टीचर क्लास मे एंटर

हो चुका था.

उस दिन जब मे छुट्टी होने के बाद घर गया तब घर पर चाची ही थी . चाचा जी

तो ऑफीस से शाम को आते थे और अंजलि दीदी 4 बजे कॉलेज से आती थी . खैर

मैने खाना खाया और अपने कमरे मे थोड़ा आराम करने के लिए चला गया ( मे

आपको ये बता दू अंजलि दीदी और मेरा कमरा एक ही था बस बेड अलग थे

).गर्मियो के दिन थे सो मुझे नींद आ गयी..मुझे सपनो मे भी वोही तस्वीरे

..वो नंगी लड़किया..उनकी बूब्स..नज़र आ रही थी..कि तभी मुझे कुछ गिरने की

आवाज़ आई ..मैने अपनी आँखे खोली तो देखा की दीदी के बेड पर कुछ बुक्स

पड़ी है जिसका मुतलब सॉफ था कि दीदी घर आ चुकी है…तभी मेरी नज़र अपने

पाजामे पर गयी..उसका टेंट बना हुआ था ..मेरा लंड उन फोटो को याद करते

करते खड़ा हो चुका था..वो तो अच्छा था कि मे उल्टा सोया था नही तो दीदी

उसको देख सकती थी..मे उठ कर बैठा ही था कि अंजलि दीदी कमरे मे आए उन्होने

पिंक सूट और ब्लॅक सलवार पहने हुए थी . " और मिस्टर जाग गये तुम….कितना

सोते हो.." अंजलि दीदी अपना दुपट्टा उतार कर स्टडी टेबल पर रखते हुए

बोली….मे अभी भी थोड़ा नींद के नशे मे था …दुपपता उतारने से उनके बूब्स

और उभर कर बाहर आ गये थे..और मेरे नज़र सीधी उनपर गयी…वैसे तो मे दीदी को

काई बार विदाउट दुपपता देख चुका था फिर पता नही आज उनके बूब्स देखते ही

मेरा दिमाग़ उन नंगी लड़कियो के बूब्स को दीदी के बूब्स से कंपेर करने

लगा और मेरे लंड ने ज़ोर से झटका लिया..ऐसा मेरे साथ पहले बार हुआ था…"

दीदी बहुत थक गयी थी..पता नही कब नींद लग गयी मुझे." मैने दीदी की तरफ

देखा जो कि अपने बेड पर बैठ गयी थी..तभी दीदी ने कुछ ऐसा किया के मेरे

लंड ने दोसरा झटका मारा दीदी ने अपने जुड़े की पिन खोली और उनकी लंबे

सेक्सी रेस्मी बाल खुल गये फिर दीदी ने उनको आगे किया और मुझे देखते हुए

बोली " क्या हुआ मिस्टर. ऐसे क्या देख रहा है तू.." मेरा तो चहरा एक दम

से लाल हो गया मुझे ऐसा लगा जैसे की मे चोरी करते हुए पकड़ा गया हू… मे

घबरा कर बोला..एमेम…ह्म्म…का .कुकुच ..नही दीदी …वो आपके बाल …" मेरा गला

सुख चुका था. दीदी हस्ते हुए अपने बेड से उठ कर मेरी बगल मे बैठ गयी.

मुझे उनके बदन पर लगे डीयोडरेंट की खुशुबू आ रही थी..और साथ मे डर भी लग

रहा थी कि कही दीदी मेरे पाजामे की तरफ ना देख ले…खैर ऐसा कुछ नही हुआ और

दीदी ने मुझे गाल पर एक किस दिया और बाहर जाने लगी..मे उन्हे जाते हुए

देख रहा था..उनकी लंबे बाल उनकी कमर पर बड़े सेक्सी तरीके से लहरा रहे

थे..और मुझे चिड़ा रहे थे…

" अबे वो किताब कैसे लगी थी तुझे…मज़ा आया था." राज मुझे चिड़ाते हुई

बोला. हम क्लास मे पिछले डेस्क पर बैठे थे.

" कितनी बार मूठ मारा था तूने ..बोल बोल…शर्मा मत.." वो फिर बोला

"मैने ऐसा कुछ नही क्या" मे बोला

"अबे चूतिए वो तो सिर्फ़ फोटो थी …बोल उनकी मूवी देखे गा…ज़ल्दी बोल.."

ये सुन कर मेरे लंड मे हर्कात से होने लगी. और ना चाहते हुए भी मेरे मूह

से निकला " क..कहा..देखेंगे "

वो तू मुझ पर छोड़ दे ..चल स्कूल के बाद मेरे साथ चलना और.मैने हा मे सिर

हिला दिया.

स्कूल की छुट्टी होते ही राज मुझे स्कूल के पास वाले साइबर केफे ले

गया..हमने कोने वाली एक सीट ली ..कंप्यूटर को राज ओपरेट कर रहा था ..जिस

तरह से वो कंप्यूटर चला रहा था उससे पता लगता था कि वो इस काम मे काफ़ी

एक्ष्पर्त है..मैने उसे कई बार इस साइबर केफे से आते जाते देखा था…तभी

उसने कोई साइट खोली और सामने नंगी लड़कियो की तस्वीर आनी शुरू हो गयी..

ये सब देखते ही मेरा गला सूख गया मे ये सब पहली बार देख रहा था..फिर राज

ने किसी लिंक पर क्लिक किया और कुछ सेकेंड बाद एक क्लिप प्ले होने लगी

..उसमे एक आदमी एक लड़की के उप्पर चढ़ा हुआ था..लड़की झुकी हुई थी और वो

आदमी ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था….ये देखते ही मेरा लंड ना जाने क्यू

मेरी पॅंट मे खड़ा हो गया ..

" इसको चुदाई कहते है ..देख कैसे चोद रहा है लड़की की चूत को….."

मे कुछ बोल नही रहा था मेरी आँखे तो कंप्यूटर स्क्रीन से चिपक गयी थी

..मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था. ..और मन मे ये डर भी था कि कही कोई हमे

पकड़ ना ले ये सब देखते हुए..
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Re: अंजाना रास्ता

Unread post by rajaarkey » 13 Oct 2014 14:59

अचानक मेरी आँखे नीचे गयी और मैने देखा कि राज के पेंट मे भी टेंट बना

हुआ है…सिर्फ़ अंतर इतना था कि उसका टेंट काफ़ी बड़ा लग रहा था.. मैने

फिर से कंप्यूटर की तरफ़ देखा..अब वहा दूसरी क्लिप चल रही थी ..इसमे एक

काला आदमी की गोरी लड़की को बड़ी बेरहमी से चोद रहा था " गोरी लड़की बहुत

खूबसूरत थी और वो काला आदमी उतना ही बदसूरत..पता नही क्यू इसे देख मेरा

लंड और ज़्यादा कड़क हो गया..क्लिप्स छोटी छोटी ही थी..पर उन छोटी छोटी

क्लिप्स ने मेरे अंदर बड़े बड़े अरमान जगा दिए थे.. हम वहा १ घंटे तक रहे

फिर मे घर आ गया.

"आह….फक मी..ह्म्म…." लड़की चिल्ला रही थी. ये वोही लड़की थी जिसको मैने

उस मूवी क्लिप मे देखा था बस अंतर इतना था कि उस काले आदमी के जगह मे

उसको चोद रहा था…एमेम….ह्म..आ.आ….फक..मी..मेरे आँखे बंद थी . तभी मुझे

कुछ गीला गीला लगा..मेरी आँखे खुल चुकी थी ..और मेरा सपना भी टूट चुका

था…मेरे लंड ने सपना देखते देखते ही पानी छोड़ दिया था…मैने घड़ी की तरफ़

देखा तो रात के 2 बजे थे .कमरे मे नाइट बल्ब जल रह था….. यका यक मेरी

नज़र सामने अंजलि दीदी के बेड पर गयी. जिसको देख तेही मेरे रोंगटे खड़े

हो गये…….

दीदी बिस्तर पर सीधी सो रही थी ..उनकी चूचियाँ बिल्कुल सीधी तनी खड़ी थी

..जैसे जैसे दीदी सास लेती थी वो उप्पर नीचे होती थी…मेरे नज़र तो मानो

उन खोबसुर्रत उभारो पर ही जम गयी थी …अब मुझे अपने पाजामे मे फिर से वो

ही हरकत महस्सूस होनी लगी .मेरा लंड खड़ा हो रहा था….मुझे ये समझ नही आ

रहा थी कि मुझे अपनी दीदी को देख कर क्यू ऐसा लग रहा है..वो मुझे कितना

प्यार करती है ..मुझे अपने उप्पर गिल्टी होने लगी..मे फिर सीधा बाथरूम

गया और पेशाब कर कर अपने बेड पर आकर सो गया.

अगली सुबा मेरी आख 8 बजे खुली.मे उठ कर बैठा और चारो तरफ़ देखा तो पाया

की दीदी का बॅग टेबल पर रखा है. आज दीदी कॉलेज नही गयी शायद. खैर मे उठ

कर फ्रेश हुआ और ड्रॉयिंग रूम की तरफ़ चला ..अंजलि दीदी सोफे पर बैठी

टीवी देख रही थी… दीदी को देखते ही मुझे रात की बात याद आई ..और मेरे

अंदर फिर से गिल्टी फीलिंग आ गयी..

"अरे..मेरा राजा भैया जाग गया..आजा..यहा बैठ मेरे पास.." दीदी मुस्कुराते हुए बोली.

" आप कॉलेज नही गयी दीदी" मैने पूछा.

"लो कर लो बात …तुझे हुआ क्या है आज कल…अरे सनडे को कोई कॉलेज जाता है

क्या " दीदी मुझे अपने पास बैठाते हुए बोली.

ओह आज सनडे है मुझे अपने बेवकूफी पर गुस्सा आया. सच मे पछले कुछ दिनो से

राजके साथ रहकर मैं भी उसकी ही तरह हो गया हू.

"चाची और चाचा जी नज़र नही आ रहे." मे बोला

"अरे हा ..मे तुझे बताना भूल गयी मम्मी पापा आज बुआ जी के यहा गये है .

शाम तक आएँगे…" दीदी टीवी देखते हुए बोली.

"तुझे भूक लगी होगी ना..मम्मी खाना बना कर गयी है ..रुक मे तेरे लिए लाती

हू' और दीदी उठ कर किचिन मे चली गयी. मैने टीवी का रिमोट लिया और चैनल

चेंज करना चाहा पर रिमोट के सेल वीक हो गये थे सो कई बार बटन दबाने के

बाद चैनल चेंज हुआ..मैने बड़े मुस्किल से अनिमल प्लॅनेट चैनल लगाया..मुझे

अनिमल प्लॅनेट चैनल देखना बहुत पसंद था..थोड़ी देर के बाद दीदी खाना लेकर

आ गयी..वो मेरे पास बैठ गयी..हम दोनो ने खाना खाया.फिर दोनो टीवी देखने

लगे.. " तू ज़रूर बड़ा होकर जानवरो का डॉक्टर बनेगा ." दीदी मुस्कुराती

हुई बोली

" क्यू..दीदी" मैं उत्सुकता से दीदी की तरफ़ देखता हुआ बोला

सारे दिन अनिमल प्लॅनेट जो देखता रहता है तू.. दीदी अपने रेशमी बाल खोल

कर अपने सीने पर डालते हुए बोली..मेरा तो बुरा हाल होगया ..एक तो दीदी थी

ही इतनी खोब्सूरत उपर से जब अपने लंबे रेशमी बाल खोल लेती थी तो क्या

काहू..कटरीना कैफ़ भी फैल हो जाती थी उनकी सामने.

" ला अपना लेफ्ट हॅंड दे ..मे तुझे तेरा फ्यूचर बताती हू " कहते हुए दीदी

ने मेरा हाथ अपने हाथो मे ले लिया ( मे आपको बता दू कि दीदी नी लॉस

टी-शर्ट ऑफ पाजामा पहना हुआ था ) . " ओफ्फ….म्म..क्या मुलायम हाथ था दीदी

का..उनके गोरे गोरे हाथो मे मेरे हाथ भी काले नज़र आने लगे थे…

" तू..बड़ा होकर बनेगा ..म्म..एक..जोकर….हा .हा हा.." दीदी हस्ने लगी.

दीदी मज़ाक कर रही थी और मुझे हसाने की कोशिस कर रही थी पर मे तो उनकी

खूबसूरती को निहार रहा था.

पर थोड़ा मज़ाक करने के बाद हम दोबारा टीवी देखने लगे..कुछ 5 मिनट ही हुए

थे कि तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे मेरी ही नही दीदी की भी साँसे रुक गयी

थी….जैसा कि मैने आपको को बताया कि टीवी पर अनिमल प्लॅनेट चल रहा था..सब

कुछ सही चल रहा था ..कुछ ज़ब्रा घास चर रहे थे कि अचनाक एक बड़ा सा

ज़ीब्रा वाहा आया और एक फीमेल ज़ीब्रा की चूत को पीछे से सूंघने लगा..फिर

उसने अपनी ज़ीब निकाली और वो उसकी चूत को चाटने लगा..कॅमरा मॅन ने इसका

क्लोज़ अप लेना सुरू कर दिया..जैसे जैसे वो उसकी चूत चाट रहा था मैने

देखा कि अब कमरे का फोकस उस ज़ीब्रा की टाँगो की तरफ़ था चूत चाटते चाटते

उसका लंड बढ़ता ही जा रहा था..और ये सब मे अकेला नही बल्कि पास बैठी दीदी

भी देख रही थी..पूरे कमरे मे अब सिर्फ़ टीवी की आवाज़ ही आ रही थी..यका

यक पता नही मेरी नज़र दीदी पर गयी…तो मैने पाया कि दीदी बिना आँखे बंद

किए ये सब देख रही है…फिर मेरी नज़र दीदी की गर्दन से नीचे सीधे उनके

उभारो पर गयी..अब वे और ज़्यादा तन गयी थी .और जल्दी जल्दी उपर नीचे हो

रही थी.शायद दीदी की सासे तेज चल रही थी…तभी दीदी की नज़र मुझसे

मिली..कुछ सेकेंड के लिए.ही मिली थी …शर्म से उनका गोरा चहरा लाल हो रहा

था..वो कुछ ना बोली और आगे बाद कर रिमोट उठा कर चैनल चेंज करने लगी..पर

जैसे कि मैने पहले बताया था कि रिमोट के सेल वीक हो गये थे चैनल चेंज नही

हुआ..पर तभी टीवी स्क्रीन पर वो ज़ीब्रा उस फीमेल ज़ीब्रा पर चढ़

गया…मुझे तभी अहसास हुआ कि मेरा हाथ अब भी दीदी के कोमल हाथो मे था जो कि

अब उनकी राइट थाइ पर रखा हुआ था…उनकी सॉफ्ट थाइट की स्किन को मे उनके

पजामे के उपर से महसूस कर सकता था..मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा..उधर

ज़ीब्रा ने एक ही झटके मे अपना विशाल लंड फीमेल ज़ीब्रा की चूत मे घुसा

दिया..और जैसे ही उसने पहला झटका मारा दीदी ने मेरे हाथ को कस कर भीच

लिया..मेरी हालत बहुत बुरी हो गयी…मुझे लग रहा था कि एक तरह से मे दीदी

के साथ बैठा ब्लू फिल्म देख रहा हू..मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया..ज़ीब्रा

लगातार झटके मार रहा था…मुझ पर सेक्स का नशा चढ़ता जा रहा था …कुछ तो उन

जानवरो की चुदाई देख कर ..और कुछ दीदी के नरम हाथो और उनकी गरम जाँघो की

गर्मी..मुझसे रहा नही गया और अचानक मैने अपने हाथो को थोड़ा खोला और

अंजलि दीदी की राइट जाँघ जिस पर मेरा हाथ रखा था को कस्स कर दबा दिया…बस

मेरे लिए ये काफ़ी था और मेरे लंड से पानी छोड़ दिया…वो तो अच्छा था मैने

अन्दर्वेअर और उपर से पॅंट पहनी थी नही तो दीदी को पता चल जाता…तभी

टेलिफोन की घंटी बजी .दीदी तो मानो सपने से जागी उनको शायद ये भी पता नही

था कि मैने उनकी थाइस को दबाया है..वो फॉरन दूसरे कमरे की तरफ़ चली गयी

जहा फोन बज रहा था…..

ये कहानी तब की है जब मे 11 क्लास मे पढ़ता था . मे अपने चाचा जी के घर

पर पढ़ाई कर रहा था क्योंकि मेरा घर गाँव मे था और वाहा कोई अच्छा स्कूल

नही था इसलिए मेरे चाचा मुझे अपने साथ अपने घर ले आए थी. उनका घर काफ़ी

बड़ा था. अब मुझे मिलाकर घर मे चार मेंबर हो गये थी . पहले और घर के बड़े

चाची जी और चाची जी और उनकी एक लोति संतान अंजलि दीदी जिनकी उम्र उस वक्त

23 थी और चोथा था मे ( अनुज ).

अंजलि दीदी बहुत खूबसूरत थी उनकी हाइट 5' 5" , स्लिम , गोरा रंग और जो

मुझे सबसे ज़्यादा पसंद थी वो थी उनके रेशमी लंबे बाल जो कि उनकी लो बेक

तक आते थे. कुल मुलाकर अंजलि दीदी किसी फिल्म आक्ट्रेस से काम नही लगती

थी. वो मुझे बहुत प्यार्कर्ती थी इसकी वजह शायद ये भी थी कि उनके कोई

अपने छोटे भाई बहन नही थे. सो मेरे घर मे आने से वो अब अकेला महसूस नही

करती थी . अंजलि दीदी एम.कॉम कर रही थी उनकी मैथ बहुत अच्छी थी . सो वो

मुझे अक्सर मैथ मे हिल्प कर दिया करती थी. मेरे स्कूल मे मेरे ज़्यादा

फ्रेंड नही थे सिर्फ़ गिने चुने दोस्त थे. राज भी उनमे से एक था ..वो

पढ़ाई लिखाई मे कम और गुंडा गर्दि मे ज़्यादा लगा रहता था …उसकी मेरी

दोस्ती तब हुई थी जब मे स्कूल मे नया आया था. मे नया नया गाँव से आया था

सो ज़्यादा पता नही था सहर के लोगो के बारे मे इसलिए कुछ सीनियर लड़को ने

मुझे स्कूल मे पकड़ कर मेरे पैसे छीनने चाहे ..मे बहुत डर गया था..पर

मैने उन्हे पैसे देने से इनकार कर दिया ..तब एक लड़के ने मेरा गिरेवान

पकड़ कर मुझे मुक्का मारना चाहा कि तभी कही से राज आ गया वो लंबा चौड़ा

था ..उसको देख कर उन लड़को ने मुझे छोड़ दिया..तब से ही हम दोस्त थे…

मेरा स्कूल बाय्स स्कूल था सो एक दिन क्लास मे जब मे लंच टाइम मे लंच कर

रहा था तो राज मेरे पास आया और बोला .." अबे क्या अकले अकेले खा रहा है …

मैने उसको बोला ले भाई तू भी खा ले …वो हस्ने लगा और बोला जल्दी खाना खा

तुझे एक अच्छी चीज़ दिखाता हू….उसका चेहरा चमक रहा था..मुझे भी उत्सुकता

थी ज़ल्दी खाना खाया और फिर बोला " हा. राज बता क्या बात है' तब राज ने

इधर उधर देखा ..क्लास मे और कोई नही था ..उसने अपने बेग मे हाथ डाला और

के छोटी सी किताब निकाल ली…मैं बड़े ध्यान से उसे देख रहा था….जैसे ही

उसने वो किताब खोली मेरे रोंगटे खड़े हो गये ..उस किताब मे जो फोटो थी

उनमे लड़कियो की नंगी तस्वीरे थी….मेरा चेहरा लाल हो गया था शरम से. मुझे

देख राज हंस पड़ा. और बोला." अबे चुतिये क्या हुआ ..तेरी गांद क्यो फॅट

रही है…" मैने अपनी ज़िंदगी मे पहली बार ऐसे फोटो देखी थी .. मैने कहा

राज कोई देख लेगा यार..अगर पकड़े गये तो बहुत पिटाई होगी..तब राज बोला तू

तो बड़ा फटू है साले इतनी मुस्किल से तो इस किताब का जुगाड़ किया है मैने

..फिर वो उसके पन्ने पलट ने लगा ..दूसरे पन्नो मे एक आदमी खड़ा था और एक

लड़की उसका लंड अपने मूह मे ले रही थी..मुझे बहुत डर लग रहा था पर अब

मेरी इच्छा और बढ़ गई थी मे उस बुक को पूरा देखना चाहता था…तभी स्कूल बेल

बजी जिसका मुतलब था कि लंच टाइम ख़तम हो गया है ..राज ने उस किताब को

वापस अपने बेग मे रख लिया क्योंकि बाकी बच्चे क्लास मे आने लगे थे…मुझे

बड़ा गुस्सा आया क्योंकि मुझे उस किताब की बाकी फोटो भी देखनी थी ..पर

क्या करता क्लास अब बच्चो से भर चुकी थी और साइन्स का टीचर क्लास मे एंटर

हो चुका था.

उस दिन जब मे छुट्टी होने के बाद घर गया तब घर पर चाची ही थी . चाचा जी

तो ऑफीस से शाम को आते थे और अंजलि दीदी 4 बजे कॉलेज से आती थी . खैर

मैने खाना खाया और अपने कमरे मे थोड़ा आराम करने के लिए चला गया ( मे

आपको ये बता दू अंजलि दीदी और मेरा कमरा एक ही था बस बेड अलग थे

).गर्मियो के दिन थे सो मुझे नींद आ गयी..मुझे सपनो मे भी वोही तस्वीरे

..वो नंगी लड़किया..उनकी बूब्स..नज़र आ रही थी..कि तभी मुझे कुछ गिरने की

आवाज़ आई ..मैने अपनी आँखे खोली तो देखा की दीदी के बेड पर कुछ बुक्स

पड़ी है जिसका मुतलब सॉफ था कि दीदी घर आ चुकी है…तभी मेरी नज़र अपने

पाजामे पर गयी..उसका टेंट बना हुआ था ..मेरा लंड उन फोटो को याद करते

करते खड़ा हो चुका था..वो तो अच्छा था कि मे उल्टा सोया था नही तो दीदी

उसको देख सकती थी..मे उठ कर बैठा ही था कि अंजलि दीदी कमरे मे आए उन्होने

पिंक सूट और ब्लॅक सलवार पहने हुए थी . " और मिस्टर जाग गये तुम….कितना

सोते हो.." अंजलि दीदी अपना दुपट्टा उतार कर स्टडी टेबल पर रखते हुए

बोली….मे अभी भी थोड़ा नींद के नशे मे था …दुपपता उतारने से उनके बूब्स

और उभर कर बाहर आ गये थे..और मेरे नज़र सीधी उनपर गयी…वैसे तो मे दीदी को

काई बार विदाउट दुपपता देख चुका था फिर पता नही आज उनके बूब्स देखते ही

मेरा दिमाग़ उन नंगी लड़कियो के बूब्स को दीदी के बूब्स से कंपेर करने

लगा और मेरे लंड ने ज़ोर से झटका लिया..ऐसा मेरे साथ पहले बार हुआ था…"

दीदी बहुत थक गयी थी..पता नही कब नींद लग गयी मुझे." मैने दीदी की तरफ

देखा जो कि अपने बेड पर बैठ गयी थी..तभी दीदी ने कुछ ऐसा किया के मेरे

लंड ने दोसरा झटका मारा दीदी ने अपने जुड़े की पिन खोली और उनकी लंबे

सेक्सी रेस्मी बाल खुल गये फिर दीदी ने उनको आगे किया और मुझे देखते हुए

बोली " क्या हुआ मिस्टर. ऐसे क्या देख रहा है तू.." मेरा तो चहरा एक दम

से लाल हो गया मुझे ऐसा लगा जैसे की मे चोरी करते हुए पकड़ा गया हू… मे

घबरा कर बोला..एमेम…ह्म्म…का .कुकुच ..नही दीदी …वो आपके बाल …" मेरा गला

सुख चुका था. दीदी हस्ते हुए अपने बेड से उठ कर मेरी बगल मे बैठ गयी.

मुझे उनके बदन पर लगे डीयोडरेंट की खुशुबू आ रही थी..और साथ मे डर भी लग

रहा थी कि कही दीदी मेरे पाजामे की तरफ ना देख ले…खैर ऐसा कुछ नही हुआ और

दीदी ने मुझे गाल पर एक किस दिया और बाहर जाने लगी..मे उन्हे जाते हुए

देख रहा था..उनकी लंबे बाल उनकी कमर पर बड़े सेक्सी तरीके से लहरा रहे

थे..और मुझे चिड़ा रहे थे…

" अबे वो किताब कैसे लगी थी तुझे…मज़ा आया था." राज मुझे चिड़ाते हुई

बोला. हम क्लास मे पिछले डेस्क पर बैठे थे.

" कितनी बार मूठ मारा था तूने ..बोल बोल…शर्मा मत.." वो फिर बोला

"मैने ऐसा कुछ नही क्या" मे बोला

"अबे चूतिए वो तो सिर्फ़ फोटो थी …बोल उनकी मूवी देखे गा…ज़ल्दी बोल.."

ये सुन कर मेरे लंड मे हर्कात से होने लगी. और ना चाहते हुए भी मेरे मूह

से निकला " क..कहा..देखेंगे "

वो तू मुझ पर छोड़ दे ..चल स्कूल के बाद मेरे साथ चलना और.मैने हा मे सिर

हिला दिया.

स्कूल की छुट्टी होते ही राज मुझे स्कूल के पास वाले साइबर केफे ले

गया..हमने कोने वाली एक सीट ली ..कंप्यूटर को राज ओपरेट कर रहा था ..जिस

तरह से वो कंप्यूटर चला रहा था उससे पता लगता था कि वो इस काम मे काफ़ी

एक्ष्पर्त है..मैने उसे कई बार इस साइबर केफे से आते जाते देखा था…तभी

उसने कोई साइट खोली और सामने नंगी लड़कियो की तस्वीर आनी शुरू हो गयी..

ये सब देखते ही मेरा गला सूख गया मे ये सब पहली बार देख रहा था..फिर राज

ने किसी लिंक पर क्लिक किया और कुछ सेकेंड बाद एक क्लिप प्ले होने लगी

..उसमे एक आदमी एक लड़की के उप्पर चढ़ा हुआ था..लड़की झुकी हुई थी और वो

आदमी ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था….ये देखते ही मेरा लंड ना जाने क्यू

मेरी पॅंट मे खड़ा हो गया ..

" इसको चुदाई कहते है ..देख कैसे चोद रहा है लड़की की चूत को….."

मे कुछ बोल नही रहा था मेरी आँखे तो कंप्यूटर स्क्रीन से चिपक गयी थी

..मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था. ..और मन मे ये डर भी था कि कही कोई हमे

पकड़ ना ले ये सब देखते हुए..
rajaarkey
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Joined: 10 Oct 2014 10:09

Re: अंजाना रास्ता

Unread post by rajaarkey » 13 Oct 2014 14:59

अचानक मेरी आँखे नीचे गयी और मैने देखा कि राज के पेंट मे भी टेंट बना

हुआ है…सिर्फ़ अंतर इतना था कि उसका टेंट काफ़ी बड़ा लग रहा था.. मैने

फिर से कंप्यूटर की तरफ़ देखा..अब वहा दूसरी क्लिप चल रही थी ..इसमे एक

काला आदमी की गोरी लड़की को बड़ी बेरहमी से चोद रहा था " गोरी लड़की बहुत

खूबसूरत थी और वो काला आदमी उतना ही बदसूरत..पता नही क्यू इसे देख मेरा

लंड और ज़्यादा कड़क हो गया..क्लिप्स छोटी छोटी ही थी..पर उन छोटी छोटी

क्लिप्स ने मेरे अंदर बड़े बड़े अरमान जगा दिए थे.. हम वहा १ घंटे तक रहे

फिर मे घर आ गया.

"आह….फक मी..ह्म्म…." लड़की चिल्ला रही थी. ये वोही लड़की थी जिसको मैने

उस मूवी क्लिप मे देखा था बस अंतर इतना था कि उस काले आदमी के जगह मे

उसको चोद रहा था…एमेम….ह्म..आ.आ….फक..मी..मेरे आँखे बंद थी . तभी मुझे

कुछ गीला गीला लगा..मेरी आँखे खुल चुकी थी ..और मेरा सपना भी टूट चुका

था…मेरे लंड ने सपना देखते देखते ही पानी छोड़ दिया था…मैने घड़ी की तरफ़

देखा तो रात के 2 बजे थे .कमरे मे नाइट बल्ब जल रह था….. यका यक मेरी

नज़र सामने अंजलि दीदी के बेड पर गयी. जिसको देख तेही मेरे रोंगटे खड़े

हो गये…….

दीदी बिस्तर पर सीधी सो रही थी ..उनकी चूचियाँ बिल्कुल सीधी तनी खड़ी थी

..जैसे जैसे दीदी सास लेती थी वो उप्पर नीचे होती थी…मेरे नज़र तो मानो

उन खोबसुर्रत उभारो पर ही जम गयी थी …अब मुझे अपने पाजामे मे फिर से वो

ही हरकत महस्सूस होनी लगी .मेरा लंड खड़ा हो रहा था….मुझे ये समझ नही आ

रहा थी कि मुझे अपनी दीदी को देख कर क्यू ऐसा लग रहा है..वो मुझे कितना

प्यार करती है ..मुझे अपने उप्पर गिल्टी होने लगी..मे फिर सीधा बाथरूम

गया और पेशाब कर कर अपने बेड पर आकर सो गया.

अगली सुबा मेरी आख 8 बजे खुली.मे उठ कर बैठा और चारो तरफ़ देखा तो पाया

की दीदी का बॅग टेबल पर रखा है. आज दीदी कॉलेज नही गयी शायद. खैर मे उठ

कर फ्रेश हुआ और ड्रॉयिंग रूम की तरफ़ चला ..अंजलि दीदी सोफे पर बैठी

टीवी देख रही थी… दीदी को देखते ही मुझे रात की बात याद आई ..और मेरे

अंदर फिर से गिल्टी फीलिंग आ गयी..

"अरे..मेरा राजा भैया जाग गया..आजा..यहा बैठ मेरे पास.." दीदी मुस्कुराते हुए बोली.

" आप कॉलेज नही गयी दीदी" मैने पूछा.

"लो कर लो बात …तुझे हुआ क्या है आज कल…अरे सनडे को कोई कॉलेज जाता है

क्या " दीदी मुझे अपने पास बैठाते हुए बोली.

ओह आज सनडे है मुझे अपने बेवकूफी पर गुस्सा आया. सच मे पछले कुछ दिनो से

राजके साथ रहकर मैं भी उसकी ही तरह हो गया हू.

"चाची और चाचा जी नज़र नही आ रहे." मे बोला

"अरे हा ..मे तुझे बताना भूल गयी मम्मी पापा आज बुआ जी के यहा गये है .

शाम तक आएँगे…" दीदी टीवी देखते हुए बोली.

"तुझे भूक लगी होगी ना..मम्मी खाना बना कर गयी है ..रुक मे तेरे लिए लाती

हू' और दीदी उठ कर किचिन मे चली गयी. मैने टीवी का रिमोट लिया और चैनल

चेंज करना चाहा पर रिमोट के सेल वीक हो गये थे सो कई बार बटन दबाने के

बाद चैनल चेंज हुआ..मैने बड़े मुस्किल से अनिमल प्लॅनेट चैनल लगाया..मुझे

अनिमल प्लॅनेट चैनल देखना बहुत पसंद था..थोड़ी देर के बाद दीदी खाना लेकर

आ गयी..वो मेरे पास बैठ गयी..हम दोनो ने खाना खाया.फिर दोनो टीवी देखने

लगे.. " तू ज़रूर बड़ा होकर जानवरो का डॉक्टर बनेगा ." दीदी मुस्कुराती

हुई बोली

" क्यू..दीदी" मैं उत्सुकता से दीदी की तरफ़ देखता हुआ बोला

सारे दिन अनिमल प्लॅनेट जो देखता रहता है तू.. दीदी अपने रेशमी बाल खोल

कर अपने सीने पर डालते हुए बोली..मेरा तो बुरा हाल होगया ..एक तो दीदी थी

ही इतनी खोब्सूरत उपर से जब अपने लंबे रेशमी बाल खोल लेती थी तो क्या

काहू..कटरीना कैफ़ भी फैल हो जाती थी उनकी सामने.

" ला अपना लेफ्ट हॅंड दे ..मे तुझे तेरा फ्यूचर बताती हू " कहते हुए दीदी

ने मेरा हाथ अपने हाथो मे ले लिया ( मे आपको बता दू कि दीदी नी लॉस

टी-शर्ट ऑफ पाजामा पहना हुआ था ) . " ओफ्फ….म्म..क्या मुलायम हाथ था दीदी

का..उनके गोरे गोरे हाथो मे मेरे हाथ भी काले नज़र आने लगे थे…

" तू..बड़ा होकर बनेगा ..म्म..एक..जोकर….हा .हा हा.." दीदी हस्ने लगी.

दीदी मज़ाक कर रही थी और मुझे हसाने की कोशिस कर रही थी पर मे तो उनकी

खूबसूरती को निहार रहा था.

पर थोड़ा मज़ाक करने के बाद हम दोबारा टीवी देखने लगे..कुछ 5 मिनट ही हुए

थे कि तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे मेरी ही नही दीदी की भी साँसे रुक गयी

थी….जैसा कि मैने आपको को बताया कि टीवी पर अनिमल प्लॅनेट चल रहा था..सब

कुछ सही चल रहा था ..कुछ ज़ब्रा घास चर रहे थे कि अचनाक एक बड़ा सा

ज़ीब्रा वाहा आया और एक फीमेल ज़ीब्रा की चूत को पीछे से सूंघने लगा..फिर

उसने अपनी ज़ीब निकाली और वो उसकी चूत को चाटने लगा..कॅमरा मॅन ने इसका

क्लोज़ अप लेना सुरू कर दिया..जैसे जैसे वो उसकी चूत चाट रहा था मैने

देखा कि अब कमरे का फोकस उस ज़ीब्रा की टाँगो की तरफ़ था चूत चाटते चाटते

उसका लंड बढ़ता ही जा रहा था..और ये सब मे अकेला नही बल्कि पास बैठी दीदी

भी देख रही थी..पूरे कमरे मे अब सिर्फ़ टीवी की आवाज़ ही आ रही थी..यका

यक पता नही मेरी नज़र दीदी पर गयी…तो मैने पाया कि दीदी बिना आँखे बंद

किए ये सब देख रही है…फिर मेरी नज़र दीदी की गर्दन से नीचे सीधे उनके

उभारो पर गयी..अब वे और ज़्यादा तन गयी थी .और जल्दी जल्दी उपर नीचे हो

रही थी.शायद दीदी की सासे तेज चल रही थी…तभी दीदी की नज़र मुझसे

मिली..कुछ सेकेंड के लिए.ही मिली थी …शर्म से उनका गोरा चहरा लाल हो रहा

था..वो कुछ ना बोली और आगे बाद कर रिमोट उठा कर चैनल चेंज करने लगी..पर

जैसे कि मैने पहले बताया था कि रिमोट के सेल वीक हो गये थे चैनल चेंज नही

हुआ..पर तभी टीवी स्क्रीन पर वो ज़ीब्रा उस फीमेल ज़ीब्रा पर चढ़

गया…मुझे तभी अहसास हुआ कि मेरा हाथ अब भी दीदी के कोमल हाथो मे था जो कि

अब उनकी राइट थाइ पर रखा हुआ था…उनकी सॉफ्ट थाइट की स्किन को मे उनके

पजामे के उपर से महसूस कर सकता था..मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा..उधर

ज़ीब्रा ने एक ही झटके मे अपना विशाल लंड फीमेल ज़ीब्रा की चूत मे घुसा

दिया..और जैसे ही उसने पहला झटका मारा दीदी ने मेरे हाथ को कस कर भीच

लिया..मेरी हालत बहुत बुरी हो गयी…मुझे लग रहा था कि एक तरह से मे दीदी

के साथ बैठा ब्लू फिल्म देख रहा हू..मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया..ज़ीब्रा

लगातार झटके मार रहा था…मुझ पर सेक्स का नशा चढ़ता जा रहा था …कुछ तो उन

जानवरो की चुदाई देख कर ..और कुछ दीदी के नरम हाथो और उनकी गरम जाँघो की

गर्मी..मुझसे रहा नही गया और अचानक मैने अपने हाथो को थोड़ा खोला और

अंजलि दीदी की राइट जाँघ जिस पर मेरा हाथ रखा था को कस्स कर दबा दिया…बस

मेरे लिए ये काफ़ी था और मेरे लंड से पानी छोड़ दिया…वो तो अच्छा था मैने

अन्दर्वेअर और उपर से पॅंट पहनी थी नही तो दीदी को पता चल जाता…तभी

टेलिफोन की घंटी बजी .दीदी तो मानो सपने से जागी उनको शायद ये भी पता नही

था कि मैने उनकी थाइस को दबाया है..वो फॉरन दूसरे कमरे की तरफ़ चली गयी

जहा फोन बज रहा था…..

ये कहानी तब की है जब मे 11 क्लास मे पढ़ता था . मे अपने चाचा जी के घर

पर पढ़ाई कर रहा था क्योंकि मेरा घर गाँव मे था और वाहा कोई अच्छा स्कूल

नही था इसलिए मेरे चाचा मुझे अपने साथ अपने घर ले आए थी. उनका घर काफ़ी

बड़ा था. अब मुझे मिलाकर घर मे चार मेंबर हो गये थी . पहले और घर के बड़े

चाची जी और चाची जी और उनकी एक लोति संतान अंजलि दीदी जिनकी उम्र उस वक्त

23 थी और चोथा था मे ( अनुज ).

अंजलि दीदी बहुत खूबसूरत थी उनकी हाइट 5' 5" , स्लिम , गोरा रंग और जो

मुझे सबसे ज़्यादा पसंद थी वो थी उनके रेशमी लंबे बाल जो कि उनकी लो बेक

तक आते थे. कुल मुलाकर अंजलि दीदी किसी फिल्म आक्ट्रेस से काम नही लगती

थी. वो मुझे बहुत प्यार्कर्ती थी इसकी वजह शायद ये भी थी कि उनके कोई

अपने छोटे भाई बहन नही थे. सो मेरे घर मे आने से वो अब अकेला महसूस नही

करती थी . अंजलि दीदी एम.कॉम कर रही थी उनकी मैथ बहुत अच्छी थी . सो वो

मुझे अक्सर मैथ मे हिल्प कर दिया करती थी. मेरे स्कूल मे मेरे ज़्यादा

फ्रेंड नही थे सिर्फ़ गिने चुने दोस्त थे. राज भी उनमे से एक था ..वो

पढ़ाई लिखाई मे कम और गुंडा गर्दि मे ज़्यादा लगा रहता था …उसकी मेरी

दोस्ती तब हुई थी जब मे स्कूल मे नया आया था. मे नया नया गाँव से आया था

सो ज़्यादा पता नही था सहर के लोगो के बारे मे इसलिए कुछ सीनियर लड़को ने

मुझे स्कूल मे पकड़ कर मेरे पैसे छीनने चाहे ..मे बहुत डर गया था..पर

मैने उन्हे पैसे देने से इनकार कर दिया ..तब एक लड़के ने मेरा गिरेवान

पकड़ कर मुझे मुक्का मारना चाहा कि तभी कही से राज आ गया वो लंबा चौड़ा

था ..उसको देख कर उन लड़को ने मुझे छोड़ दिया..तब से ही हम दोस्त थे…

मेरा स्कूल बाय्स स्कूल था सो एक दिन क्लास मे जब मे लंच टाइम मे लंच कर

रहा था तो राज मेरे पास आया और बोला .." अबे क्या अकले अकेले खा रहा है …

मैने उसको बोला ले भाई तू भी खा ले …वो हस्ने लगा और बोला जल्दी खाना खा

तुझे एक अच्छी चीज़ दिखाता हू….उसका चेहरा चमक रहा था..मुझे भी उत्सुकता

थी ज़ल्दी खाना खाया और फिर बोला " हा. राज बता क्या बात है' तब राज ने

इधर उधर देखा ..क्लास मे और कोई नही था ..उसने अपने बेग मे हाथ डाला और

के छोटी सी किताब निकाल ली…मैं बड़े ध्यान से उसे देख रहा था….जैसे ही

उसने वो किताब खोली मेरे रोंगटे खड़े हो गये ..उस किताब मे जो फोटो थी

उनमे लड़कियो की नंगी तस्वीरे थी….मेरा चेहरा लाल हो गया था शरम से. मुझे

देख राज हंस पड़ा. और बोला." अबे चुतिये क्या हुआ ..तेरी गांद क्यो फॅट

रही है…" मैने अपनी ज़िंदगी मे पहली बार ऐसे फोटो देखी थी .. मैने कहा

राज कोई देख लेगा यार..अगर पकड़े गये तो बहुत पिटाई होगी..तब राज बोला तू

तो बड़ा फटू है साले इतनी मुस्किल से तो इस किताब का जुगाड़ किया है मैने

..फिर वो उसके पन्ने पलट ने लगा ..दूसरे पन्नो मे एक आदमी खड़ा था और एक

लड़की उसका लंड अपने मूह मे ले रही थी..मुझे बहुत डर लग रहा था पर अब

मेरी इच्छा और बढ़ गई थी मे उस बुक को पूरा देखना चाहता था…तभी स्कूल बेल

बजी जिसका मुतलब था कि लंच टाइम ख़तम हो गया है ..राज ने उस किताब को

वापस अपने बेग मे रख लिया क्योंकि बाकी बच्चे क्लास मे आने लगे थे…मुझे

बड़ा गुस्सा आया क्योंकि मुझे उस किताब की बाकी फोटो भी देखनी थी ..पर

क्या करता क्लास अब बच्चो से भर चुकी थी और साइन्स का टीचर क्लास मे एंटर

हो चुका था.

उस दिन जब मे छुट्टी होने के बाद घर गया तब घर पर चाची ही थी . चाचा जी

तो ऑफीस से शाम को आते थे और अंजलि दीदी 4 बजे कॉलेज से आती थी . खैर

मैने खाना खाया और अपने कमरे मे थोड़ा आराम करने के लिए चला गया ( मे

आपको ये बता दू अंजलि दीदी और मेरा कमरा एक ही था बस बेड अलग थे

).गर्मियो के दिन थे सो मुझे नींद आ गयी..मुझे सपनो मे भी वोही तस्वीरे

..वो नंगी लड़किया..उनकी बूब्स..नज़र आ रही थी..कि तभी मुझे कुछ गिरने की

आवाज़ आई ..मैने अपनी आँखे खोली तो देखा की दीदी के बेड पर कुछ बुक्स

पड़ी है जिसका मुतलब सॉफ था कि दीदी घर आ चुकी है…तभी मेरी नज़र अपने

पाजामे पर गयी..उसका टेंट बना हुआ था ..मेरा लंड उन फोटो को याद करते

करते खड़ा हो चुका था..वो तो अच्छा था कि मे उल्टा सोया था नही तो दीदी

उसको देख सकती थी..मे उठ कर बैठा ही था कि अंजलि दीदी कमरे मे आए उन्होने

पिंक सूट और ब्लॅक सलवार पहने हुए थी . " और मिस्टर जाग गये तुम….कितना

सोते हो.." अंजलि दीदी अपना दुपट्टा उतार कर स्टडी टेबल पर रखते हुए

बोली….मे अभी भी थोड़ा नींद के नशे मे था …दुपपता उतारने से उनके बूब्स

और उभर कर बाहर आ गये थे..और मेरे नज़र सीधी उनपर गयी…वैसे तो मे दीदी को

काई बार विदाउट दुपपता देख चुका था फिर पता नही आज उनके बूब्स देखते ही

मेरा दिमाग़ उन नंगी लड़कियो के बूब्स को दीदी के बूब्स से कंपेर करने

लगा और मेरे लंड ने ज़ोर से झटका लिया..ऐसा मेरे साथ पहले बार हुआ था…"

दीदी बहुत थक गयी थी..पता नही कब नींद लग गयी मुझे." मैने दीदी की तरफ

देखा जो कि अपने बेड पर बैठ गयी थी..तभी दीदी ने कुछ ऐसा किया के मेरे

लंड ने दोसरा झटका मारा दीदी ने अपने जुड़े की पिन खोली और उनकी लंबे

सेक्सी रेस्मी बाल खुल गये फिर दीदी ने उनको आगे किया और मुझे देखते हुए

बोली " क्या हुआ मिस्टर. ऐसे क्या देख रहा है तू.." मेरा तो चहरा एक दम

से लाल हो गया मुझे ऐसा लगा जैसे की मे चोरी करते हुए पकड़ा गया हू… मे

घबरा कर बोला..एमेम…ह्म्म…का .कुकुच ..नही दीदी …वो आपके बाल …" मेरा गला

सुख चुका था. दीदी हस्ते हुए अपने बेड से उठ कर मेरी बगल मे बैठ गयी.

मुझे उनके बदन पर लगे डीयोडरेंट की खुशुबू आ रही थी..और साथ मे डर भी लग

रहा थी कि कही दीदी मेरे पाजामे की तरफ ना देख ले…खैर ऐसा कुछ नही हुआ और

दीदी ने मुझे गाल पर एक किस दिया और बाहर जाने लगी..मे उन्हे जाते हुए

देख रहा था..उनकी लंबे बाल उनकी कमर पर बड़े सेक्सी तरीके से लहरा रहे

थे..और मुझे चिड़ा रहे थे…

" अबे वो किताब कैसे लगी थी तुझे…मज़ा आया था." राज मुझे चिड़ाते हुई

बोला. हम क्लास मे पिछले डेस्क पर बैठे थे.

" कितनी बार मूठ मारा था तूने ..बोल बोल…शर्मा मत.." वो फिर बोला

"मैने ऐसा कुछ नही क्या" मे बोला

"अबे चूतिए वो तो सिर्फ़ फोटो थी …बोल उनकी मूवी देखे गा…ज़ल्दी बोल.."

ये सुन कर मेरे लंड मे हर्कात से होने लगी. और ना चाहते हुए भी मेरे मूह

से निकला " क..कहा..देखेंगे "

वो तू मुझ पर छोड़ दे ..चल स्कूल के बाद मेरे साथ चलना और.मैने हा मे सिर

हिला दिया.

स्कूल की छुट्टी होते ही राज मुझे स्कूल के पास वाले साइबर केफे ले

गया..हमने कोने वाली एक सीट ली ..कंप्यूटर को राज ओपरेट कर रहा था ..जिस

तरह से वो कंप्यूटर चला रहा था उससे पता लगता था कि वो इस काम मे काफ़ी

एक्ष्पर्त है..मैने उसे कई बार इस साइबर केफे से आते जाते देखा था…तभी

उसने कोई साइट खोली और सामने नंगी लड़कियो की तस्वीर आनी शुरू हो गयी..

ये सब देखते ही मेरा गला सूख गया मे ये सब पहली बार देख रहा था..फिर राज

ने किसी लिंक पर क्लिक किया और कुछ सेकेंड बाद एक क्लिप प्ले होने लगी

..उसमे एक आदमी एक लड़की के उप्पर चढ़ा हुआ था..लड़की झुकी हुई थी और वो

आदमी ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था….ये देखते ही मेरा लंड ना जाने क्यू

मेरी पॅंट मे खड़ा हो गया ..

" इसको चुदाई कहते है ..देख कैसे चोद रहा है लड़की की चूत को….."

मे कुछ बोल नही रहा था मेरी आँखे तो कंप्यूटर स्क्रीन से चिपक गयी थी

..मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था. ..और मन मे ये डर भी था कि कही कोई हमे

पकड़ ना ले ये सब देखते हुए..
rajaarkey
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Re: अंजाना रास्ता

Unread post by rajaarkey » 13 Oct 2014 14:59

अचानक मेरी आँखे नीचे गयी और मैने देखा कि राज के पेंट मे भी टेंट बना

हुआ है…सिर्फ़ अंतर इतना था कि उसका टेंट काफ़ी बड़ा लग रहा था.. मैने

फिर से कंप्यूटर की तरफ़ देखा..अब वहा दूसरी क्लिप चल रही थी ..इसमे एक

काला आदमी की गोरी लड़की को बड़ी बेरहमी से चोद रहा था " गोरी लड़की बहुत

खूबसूरत थी और वो काला आदमी उतना ही बदसूरत..पता नही क्यू इसे देख मेरा

लंड और ज़्यादा कड़क हो गया..क्लिप्स छोटी छोटी ही थी..पर उन छोटी छोटी

क्लिप्स ने मेरे अंदर बड़े बड़े अरमान जगा दिए थे.. हम वहा १ घंटे तक रहे

फिर मे घर आ गया.

"आह….फक मी..ह्म्म…." लड़की चिल्ला रही थी. ये वोही लड़की थी जिसको मैने

उस मूवी क्लिप मे देखा था बस अंतर इतना था कि उस काले आदमी के जगह मे

उसको चोद रहा था…एमेम….ह्म..आ.आ….फक..मी..मेरे आँखे बंद थी . तभी मुझे

कुछ गीला गीला लगा..मेरी आँखे खुल चुकी थी ..और मेरा सपना भी टूट चुका

था…मेरे लंड ने सपना देखते देखते ही पानी छोड़ दिया था…मैने घड़ी की तरफ़

देखा तो रात के 2 बजे थे .कमरे मे नाइट बल्ब जल रह था….. यका यक मेरी

नज़र सामने अंजलि दीदी के बेड पर गयी. जिसको देख तेही मेरे रोंगटे खड़े

हो गये…….

दीदी बिस्तर पर सीधी सो रही थी ..उनकी चूचियाँ बिल्कुल सीधी तनी खड़ी थी

..जैसे जैसे दीदी सास लेती थी वो उप्पर नीचे होती थी…मेरे नज़र तो मानो

उन खोबसुर्रत उभारो पर ही जम गयी थी …अब मुझे अपने पाजामे मे फिर से वो

ही हरकत महस्सूस होनी लगी .मेरा लंड खड़ा हो रहा था….मुझे ये समझ नही आ

रहा थी कि मुझे अपनी दीदी को देख कर क्यू ऐसा लग रहा है..वो मुझे कितना

प्यार करती है ..मुझे अपने उप्पर गिल्टी होने लगी..मे फिर सीधा बाथरूम

गया और पेशाब कर कर अपने बेड पर आकर सो गया.

अगली सुबा मेरी आख 8 बजे खुली.मे उठ कर बैठा और चारो तरफ़ देखा तो पाया

की दीदी का बॅग टेबल पर रखा है. आज दीदी कॉलेज नही गयी शायद. खैर मे उठ

कर फ्रेश हुआ और ड्रॉयिंग रूम की तरफ़ चला ..अंजलि दीदी सोफे पर बैठी

टीवी देख रही थी… दीदी को देखते ही मुझे रात की बात याद आई ..और मेरे

अंदर फिर से गिल्टी फीलिंग आ गयी..

"अरे..मेरा राजा भैया जाग गया..आजा..यहा बैठ मेरे पास.." दीदी मुस्कुराते हुए बोली.

" आप कॉलेज नही गयी दीदी" मैने पूछा.

"लो कर लो बात …तुझे हुआ क्या है आज कल…अरे सनडे को कोई कॉलेज जाता है

क्या " दीदी मुझे अपने पास बैठाते हुए बोली.

ओह आज सनडे है मुझे अपने बेवकूफी पर गुस्सा आया. सच मे पछले कुछ दिनो से

राजके साथ रहकर मैं भी उसकी ही तरह हो गया हू.

"चाची और चाचा जी नज़र नही आ रहे." मे बोला

"अरे हा ..मे तुझे बताना भूल गयी मम्मी पापा आज बुआ जी के यहा गये है .

शाम तक आएँगे…" दीदी टीवी देखते हुए बोली.

"तुझे भूक लगी होगी ना..मम्मी खाना बना कर गयी है ..रुक मे तेरे लिए लाती

हू' और दीदी उठ कर किचिन मे चली गयी. मैने टीवी का रिमोट लिया और चैनल

चेंज करना चाहा पर रिमोट के सेल वीक हो गये थे सो कई बार बटन दबाने के

बाद चैनल चेंज हुआ..मैने बड़े मुस्किल से अनिमल प्लॅनेट चैनल लगाया..मुझे

अनिमल प्लॅनेट चैनल देखना बहुत पसंद था..थोड़ी देर के बाद दीदी खाना लेकर

आ गयी..वो मेरे पास बैठ गयी..हम दोनो ने खाना खाया.फिर दोनो टीवी देखने

लगे.. " तू ज़रूर बड़ा होकर जानवरो का डॉक्टर बनेगा ." दीदी मुस्कुराती

हुई बोली

" क्यू..दीदी" मैं उत्सुकता से दीदी की तरफ़ देखता हुआ बोला

सारे दिन अनिमल प्लॅनेट जो देखता रहता है तू.. दीदी अपने रेशमी बाल खोल

कर अपने सीने पर डालते हुए बोली..मेरा तो बुरा हाल होगया ..एक तो दीदी थी

ही इतनी खोब्सूरत उपर से जब अपने लंबे रेशमी बाल खोल लेती थी तो क्या

काहू..कटरीना कैफ़ भी फैल हो जाती थी उनकी सामने.

" ला अपना लेफ्ट हॅंड दे ..मे तुझे तेरा फ्यूचर बताती हू " कहते हुए दीदी

ने मेरा हाथ अपने हाथो मे ले लिया ( मे आपको बता दू कि दीदी नी लॉस

टी-शर्ट ऑफ पाजामा पहना हुआ था ) . " ओफ्फ….म्म..क्या मुलायम हाथ था दीदी

का..उनके गोरे गोरे हाथो मे मेरे हाथ भी काले नज़र आने लगे थे…

" तू..बड़ा होकर बनेगा ..म्म..एक..जोकर….हा .हा हा.." दीदी हस्ने लगी.

दीदी मज़ाक कर रही थी और मुझे हसाने की कोशिस कर रही थी पर मे तो उनकी

खूबसूरती को निहार रहा था.

पर थोड़ा मज़ाक करने के बाद हम दोबारा टीवी देखने लगे..कुछ 5 मिनट ही हुए

थे कि तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे मेरी ही नही दीदी की भी साँसे रुक गयी

थी….जैसा कि मैने आपको को बताया कि टीवी पर अनिमल प्लॅनेट चल रहा था..सब

कुछ सही चल रहा था ..कुछ ज़ब्रा घास चर रहे थे कि अचनाक एक बड़ा सा

ज़ीब्रा वाहा आया और एक फीमेल ज़ीब्रा की चूत को पीछे से सूंघने लगा..फिर

उसने अपनी ज़ीब निकाली और वो उसकी चूत को चाटने लगा..कॅमरा मॅन ने इसका

क्लोज़ अप लेना सुरू कर दिया..जैसे जैसे वो उसकी चूत चाट रहा था मैने

देखा कि अब कमरे का फोकस उस ज़ीब्रा की टाँगो की तरफ़ था चूत चाटते चाटते

उसका लंड बढ़ता ही जा रहा था..और ये सब मे अकेला नही बल्कि पास बैठी दीदी

भी देख रही थी..पूरे कमरे मे अब सिर्फ़ टीवी की आवाज़ ही आ रही थी..यका

यक पता नही मेरी नज़र दीदी पर गयी…तो मैने पाया कि दीदी बिना आँखे बंद

किए ये सब देख रही है…फिर मेरी नज़र दीदी की गर्दन से नीचे सीधे उनके

उभारो पर गयी..अब वे और ज़्यादा तन गयी थी .और जल्दी जल्दी उपर नीचे हो

रही थी.शायद दीदी की सासे तेज चल रही थी…तभी दीदी की नज़र मुझसे

मिली..कुछ सेकेंड के लिए.ही मिली थी …शर्म से उनका गोरा चहरा लाल हो रहा

था..वो कुछ ना बोली और आगे बाद कर रिमोट उठा कर चैनल चेंज करने लगी..पर

जैसे कि मैने पहले बताया था कि रिमोट के सेल वीक हो गये थे चैनल चेंज नही

हुआ..पर तभी टीवी स्क्रीन पर वो ज़ीब्रा उस फीमेल ज़ीब्रा पर चढ़

गया…मुझे तभी अहसास हुआ कि मेरा हाथ अब भी दीदी के कोमल हाथो मे था जो कि

अब उनकी राइट थाइ पर रखा हुआ था…उनकी सॉफ्ट थाइट की स्किन को मे उनके

पजामे के उपर से महसूस कर सकता था..मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा..उधर

ज़ीब्रा ने एक ही झटके मे अपना विशाल लंड फीमेल ज़ीब्रा की चूत मे घुसा

दिया..और जैसे ही उसने पहला झटका मारा दीदी ने मेरे हाथ को कस कर भीच

लिया..मेरी हालत बहुत बुरी हो गयी…मुझे लग रहा था कि एक तरह से मे दीदी

के साथ बैठा ब्लू फिल्म देख रहा हू..मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया..ज़ीब्रा

लगातार झटके मार रहा था…मुझ पर सेक्स का नशा चढ़ता जा रहा था …कुछ तो उन

जानवरो की चुदाई देख कर ..और कुछ दीदी के नरम हाथो और उनकी गरम जाँघो की

गर्मी..मुझसे रहा नही गया और अचानक मैने अपने हाथो को थोड़ा खोला और

अंजलि दीदी की राइट जाँघ जिस पर मेरा हाथ रखा था को कस्स कर दबा दिया…बस

मेरे लिए ये काफ़ी था और मेरे लंड से पानी छोड़ दिया…वो तो अच्छा था मैने

अन्दर्वेअर और उपर से पॅंट पहनी थी नही तो दीदी को पता चल जाता…तभी

टेलिफोन की घंटी बजी .दीदी तो मानो सपने से जागी उनको शायद ये भी पता नही

था कि मैने उनकी थाइस को दबाया है..वो फॉरन दूसरे कमरे की तरफ़ चली गयी

जहा फोन बज रहा था…..

ये कहानी तब की है जब मे 11 क्लास मे पढ़ता था . मे अपने चाचा जी के घर

पर पढ़ाई कर रहा था क्योंकि मेरा घर गाँव मे था और वाहा कोई अच्छा स्कूल

नही था इसलिए मेरे चाचा मुझे अपने साथ अपने घर ले आए थी. उनका घर काफ़ी

बड़ा था. अब मुझे मिलाकर घर मे चार मेंबर हो गये थी . पहले और घर के बड़े

चाची जी और चाची जी और उनकी एक लोति संतान अंजलि दीदी जिनकी उम्र उस वक्त

23 थी और चोथा था मे ( अनुज ).

अंजलि दीदी बहुत खूबसूरत थी उनकी हाइट 5' 5" , स्लिम , गोरा रंग और जो

मुझे सबसे ज़्यादा पसंद थी वो थी उनके रेशमी लंबे बाल जो कि उनकी लो बेक

तक आते थे. कुल मुलाकर अंजलि दीदी किसी फिल्म आक्ट्रेस से काम नही लगती

थी. वो मुझे बहुत प्यार्कर्ती थी इसकी वजह शायद ये भी थी कि उनके कोई

अपने छोटे भाई बहन नही थे. सो मेरे घर मे आने से वो अब अकेला महसूस नही

करती थी . अंजलि दीदी एम.कॉम कर रही थी उनकी मैथ बहुत अच्छी थी . सो वो

मुझे अक्सर मैथ मे हिल्प कर दिया करती थी. मेरे स्कूल मे मेरे ज़्यादा

फ्रेंड नही थे सिर्फ़ गिने चुने दोस्त थे. राज भी उनमे से एक था ..वो

पढ़ाई लिखाई मे कम और गुंडा गर्दि मे ज़्यादा लगा रहता था …उसकी मेरी

दोस्ती तब हुई थी जब मे स्कूल मे नया आया था. मे नया नया गाँव से आया था

सो ज़्यादा पता नही था सहर के लोगो के बारे मे इसलिए कुछ सीनियर लड़को ने

मुझे स्कूल मे पकड़ कर मेरे पैसे छीनने चाहे ..मे बहुत डर गया था..पर

मैने उन्हे पैसे देने से इनकार कर दिया ..तब एक लड़के ने मेरा गिरेवान

पकड़ कर मुझे मुक्का मारना चाहा कि तभी कही से राज आ गया वो लंबा चौड़ा

था ..उसको देख कर उन लड़को ने मुझे छोड़ दिया..तब से ही हम दोस्त थे…

मेरा स्कूल बाय्स स्कूल था सो एक दिन क्लास मे जब मे लंच टाइम मे लंच कर

रहा था तो राज मेरे पास आया और बोला .." अबे क्या अकले अकेले खा रहा है …

मैने उसको बोला ले भाई तू भी खा ले …वो हस्ने लगा और बोला जल्दी खाना खा

तुझे एक अच्छी चीज़ दिखाता हू….उसका चेहरा चमक रहा था..मुझे भी उत्सुकता

थी ज़ल्दी खाना खाया और फिर बोला " हा. राज बता क्या बात है' तब राज ने

इधर उधर देखा ..क्लास मे और कोई नही था ..उसने अपने बेग मे हाथ डाला और

के छोटी सी किताब निकाल ली…मैं बड़े ध्यान से उसे देख रहा था….जैसे ही

उसने वो किताब खोली मेरे रोंगटे खड़े हो गये ..उस किताब मे जो फोटो थी

उनमे लड़कियो की नंगी तस्वीरे थी….मेरा चेहरा लाल हो गया था शरम से. मुझे

देख राज हंस पड़ा. और बोला." अबे चुतिये क्या हुआ ..तेरी गांद क्यो फॅट

रही है…" मैने अपनी ज़िंदगी मे पहली बार ऐसे फोटो देखी थी .. मैने कहा

राज कोई देख लेगा यार..अगर पकड़े गये तो बहुत पिटाई होगी..तब राज बोला तू

तो बड़ा फटू है साले इतनी मुस्किल से तो इस किताब का जुगाड़ किया है मैने

..फिर वो उसके पन्ने पलट ने लगा ..दूसरे पन्नो मे एक आदमी खड़ा था और एक

लड़की उसका लंड अपने मूह मे ले रही थी..मुझे बहुत डर लग रहा था पर अब

मेरी इच्छा और बढ़ गई थी मे उस बुक को पूरा देखना चाहता था…तभी स्कूल बेल

बजी जिसका मुतलब था कि लंच टाइम ख़तम हो गया है ..राज ने उस किताब को

वापस अपने बेग मे रख लिया क्योंकि बाकी बच्चे क्लास मे आने लगे थे…मुझे

बड़ा गुस्सा आया क्योंकि मुझे उस किताब की बाकी फोटो भी देखनी थी ..पर

क्या करता क्लास अब बच्चो से भर चुकी थी और साइन्स का टीचर क्लास मे एंटर

हो चुका था.

उस दिन जब मे छुट्टी होने के बाद घर गया तब घर पर चाची ही थी . चाचा जी

तो ऑफीस से शाम को आते थे और अंजलि दीदी 4 बजे कॉलेज से आती थी . खैर

मैने खाना खाया और अपने कमरे मे थोड़ा आराम करने के लिए चला गया ( मे

आपको ये बता दू अंजलि दीदी और मेरा कमरा एक ही था बस बेड अलग थे

).गर्मियो के दिन थे सो मुझे नींद आ गयी..मुझे सपनो मे भी वोही तस्वीरे

..वो नंगी लड़किया..उनकी बूब्स..नज़र आ रही थी..कि तभी मुझे कुछ गिरने की

आवाज़ आई ..मैने अपनी आँखे खोली तो देखा की दीदी के बेड पर कुछ बुक्स

पड़ी है जिसका मुतलब सॉफ था कि दीदी घर आ चुकी है…तभी मेरी नज़र अपने

पाजामे पर गयी..उसका टेंट बना हुआ था ..मेरा लंड उन फोटो को याद करते

करते खड़ा हो चुका था..वो तो अच्छा था कि मे उल्टा सोया था नही तो दीदी

उसको देख सकती थी..मे उठ कर बैठा ही था कि अंजलि दीदी कमरे मे आए उन्होने

पिंक सूट और ब्लॅक सलवार पहने हुए थी . " और मिस्टर जाग गये तुम….कितना

सोते हो.." अंजलि दीदी अपना दुपट्टा उतार कर स्टडी टेबल पर रखते हुए

बोली….मे अभी भी थोड़ा नींद के नशे मे था …दुपपता उतारने से उनके बूब्स

और उभर कर बाहर आ गये थे..और मेरे नज़र सीधी उनपर गयी…वैसे तो मे दीदी को

काई बार विदाउट दुपपता देख चुका था फिर पता नही आज उनके बूब्स देखते ही

मेरा दिमाग़ उन नंगी लड़कियो के बूब्स को दीदी के बूब्स से कंपेर करने

लगा और मेरे लंड ने ज़ोर से झटका लिया..ऐसा मेरे साथ पहले बार हुआ था…"

दीदी बहुत थक गयी थी..पता नही कब नींद लग गयी मुझे." मैने दीदी की तरफ

देखा जो कि अपने बेड पर बैठ गयी थी..तभी दीदी ने कुछ ऐसा किया के मेरे

लंड ने दोसरा झटका मारा दीदी ने अपने जुड़े की पिन खोली और उनकी लंबे

सेक्सी रेस्मी बाल खुल गये फिर दीदी ने उनको आगे किया और मुझे देखते हुए

बोली " क्या हुआ मिस्टर. ऐसे क्या देख रहा है तू.." मेरा तो चहरा एक दम

से लाल हो गया मुझे ऐसा लगा जैसे की मे चोरी करते हुए पकड़ा गया हू… मे

घबरा कर बोला..एमेम…ह्म्म…का .कुकुच ..नही दीदी …वो आपके बाल …" मेरा गला

सुख चुका था. दीदी हस्ते हुए अपने बेड से उठ कर मेरी बगल मे बैठ गयी.

मुझे उनके बदन पर लगे डीयोडरेंट की खुशुबू आ रही थी..और साथ मे डर भी लग

रहा थी कि कही दीदी मेरे पाजामे की तरफ ना देख ले…खैर ऐसा कुछ नही हुआ और

दीदी ने मुझे गाल पर एक किस दिया और बाहर जाने लगी..मे उन्हे जाते हुए

देख रहा था..उनकी लंबे बाल उनकी कमर पर बड़े सेक्सी तरीके से लहरा रहे

थे..और मुझे चिड़ा रहे थे…

" अबे वो किताब कैसे लगी थी तुझे…मज़ा आया था." राज मुझे चिड़ाते हुई

बोला. हम क्लास मे पिछले डेस्क पर बैठे थे.

" कितनी बार मूठ मारा था तूने ..बोल बोल…शर्मा मत.." वो फिर बोला

"मैने ऐसा कुछ नही क्या" मे बोला

"अबे चूतिए वो तो सिर्फ़ फोटो थी …बोल उनकी मूवी देखे गा…ज़ल्दी बोल.."

ये सुन कर मेरे लंड मे हर्कात से होने लगी. और ना चाहते हुए भी मेरे मूह

से निकला " क..कहा..देखेंगे "

वो तू मुझ पर छोड़ दे ..चल स्कूल के बाद मेरे साथ चलना और.मैने हा मे सिर

हिला दिया.

स्कूल की छुट्टी होते ही राज मुझे स्कूल के पास वाले साइबर केफे ले

गया..हमने कोने वाली एक सीट ली ..कंप्यूटर को राज ओपरेट कर रहा था ..जिस

तरह से वो कंप्यूटर चला रहा था उससे पता लगता था कि वो इस काम मे काफ़ी

एक्ष्पर्त है..मैने उसे कई बार इस साइबर केफे से आते जाते देखा था…तभी

उसने कोई साइट खोली और सामने नंगी लड़कियो की तस्वीर आनी शुरू हो गयी..

ये सब देखते ही मेरा गला सूख गया मे ये सब पहली बार देख रहा था..फिर राज

ने किसी लिंक पर क्लिक किया और कुछ सेकेंड बाद एक क्लिप प्ले होने लगी

..उसमे एक आदमी एक लड़की के उप्पर चढ़ा हुआ था..लड़की झुकी हुई थी और वो

आदमी ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था….ये देखते ही मेरा लंड ना जाने क्यू

मेरी पॅंट मे खड़ा हो गया ..

" इसको चुदाई कहते है ..देख कैसे चोद रहा है लड़की की चूत को….."

मे कुछ बोल नही रहा था मेरी आँखे तो कंप्यूटर स्क्रीन से चिपक गयी थी

..मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था. ..और मन मे ये डर भी था कि कही कोई हमे

पकड़ ना ले ये सब देखते हुए..
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Re: अंजाना रास्ता

Unread post by rajaarkey » 13 Oct 2014 14:59

अचानक मेरी आँखे नीचे गयी और मैने देखा कि राज के पेंट मे भी टेंट बना

हुआ है…सिर्फ़ अंतर इतना था कि उसका टेंट काफ़ी बड़ा लग रहा था.. मैने

फिर से कंप्यूटर की तरफ़ देखा..अब वहा दूसरी क्लिप चल रही थी ..इसमे एक

काला आदमी की गोरी लड़की को बड़ी बेरहमी से चोद रहा था " गोरी लड़की बहुत

खूबसूरत थी और वो काला आदमी उतना ही बदसूरत..पता नही क्यू इसे देख मेरा

लंड और ज़्यादा कड़क हो गया..क्लिप्स छोटी छोटी ही थी..पर उन छोटी छोटी

क्लिप्स ने मेरे अंदर बड़े बड़े अरमान जगा दिए थे.. हम वहा १ घंटे तक रहे

फिर मे घर आ गया.

"आह….फक मी..ह्म्म…." लड़की चिल्ला रही थी. ये वोही लड़की थी जिसको मैने

उस मूवी क्लिप मे देखा था बस अंतर इतना था कि उस काले आदमी के जगह मे

उसको चोद रहा था…एमेम….ह्म..आ.आ….फक..मी..मेरे आँखे बंद थी . तभी मुझे

कुछ गीला गीला लगा..मेरी आँखे खुल चुकी थी ..और मेरा सपना भी टूट चुका

था…मेरे लंड ने सपना देखते देखते ही पानी छोड़ दिया था…मैने घड़ी की तरफ़

देखा तो रात के 2 बजे थे .कमरे मे नाइट बल्ब जल रह था….. यका यक मेरी

नज़र सामने अंजलि दीदी के बेड पर गयी. जिसको देख तेही मेरे रोंगटे खड़े

हो गये…….

दीदी बिस्तर पर सीधी सो रही थी ..उनकी चूचियाँ बिल्कुल सीधी तनी खड़ी थी

..जैसे जैसे दीदी सास लेती थी वो उप्पर नीचे होती थी…मेरे नज़र तो मानो

उन खोबसुर्रत उभारो पर ही जम गयी थी …अब मुझे अपने पाजामे मे फिर से वो

ही हरकत महस्सूस होनी लगी .मेरा लंड खड़ा हो रहा था….मुझे ये समझ नही आ

रहा थी कि मुझे अपनी दीदी को देख कर क्यू ऐसा लग रहा है..वो मुझे कितना

प्यार करती है ..मुझे अपने उप्पर गिल्टी होने लगी..मे फिर सीधा बाथरूम

गया और पेशाब कर कर अपने बेड पर आकर सो गया.

अगली सुबा मेरी आख 8 बजे खुली.मे उठ कर बैठा और चारो तरफ़ देखा तो पाया

की दीदी का बॅग टेबल पर रखा है. आज दीदी कॉलेज नही गयी शायद. खैर मे उठ

कर फ्रेश हुआ और ड्रॉयिंग रूम की तरफ़ चला ..अंजलि दीदी सोफे पर बैठी

टीवी देख रही थी… दीदी को देखते ही मुझे रात की बात याद आई ..और मेरे

अंदर फिर से गिल्टी फीलिंग आ गयी..

"अरे..मेरा राजा भैया जाग गया..आजा..यहा बैठ मेरे पास.." दीदी मुस्कुराते हुए बोली.

" आप कॉलेज नही गयी दीदी" मैने पूछा.

"लो कर लो बात …तुझे हुआ क्या है आज कल…अरे सनडे को कोई कॉलेज जाता है

क्या " दीदी मुझे अपने पास बैठाते हुए बोली.

ओह आज सनडे है मुझे अपने बेवकूफी पर गुस्सा आया. सच मे पछले कुछ दिनो से

राजके साथ रहकर मैं भी उसकी ही तरह हो गया हू.

"चाची और चाचा जी नज़र नही आ रहे." मे बोला

"अरे हा ..मे तुझे बताना भूल गयी मम्मी पापा आज बुआ जी के यहा गये है .

शाम तक आएँगे…" दीदी टीवी देखते हुए बोली.

"तुझे भूक लगी होगी ना..मम्मी खाना बना कर गयी है ..रुक मे तेरे लिए लाती

हू' और दीदी उठ कर किचिन मे चली गयी. मैने टीवी का रिमोट लिया और चैनल

चेंज करना चाहा पर रिमोट के सेल वीक हो गये थे सो कई बार बटन दबाने के

बाद चैनल चेंज हुआ..मैने बड़े मुस्किल से अनिमल प्लॅनेट चैनल लगाया..मुझे

अनिमल प्लॅनेट चैनल देखना बहुत पसंद था..थोड़ी देर के बाद दीदी खाना लेकर

आ गयी..वो मेरे पास बैठ गयी..हम दोनो ने खाना खाया.फिर दोनो टीवी देखने

लगे.. " तू ज़रूर बड़ा होकर जानवरो का डॉक्टर बनेगा ." दीदी मुस्कुराती

हुई बोली

" क्यू..दीदी" मैं उत्सुकता से दीदी की तरफ़ देखता हुआ बोला

सारे दिन अनिमल प्लॅनेट जो देखता रहता है तू.. दीदी अपने रेशमी बाल खोल

कर अपने सीने पर डालते हुए बोली..मेरा तो बुरा हाल होगया ..एक तो दीदी थी

ही इतनी खोब्सूरत उपर से जब अपने लंबे रेशमी बाल खोल लेती थी तो क्या

काहू..कटरीना कैफ़ भी फैल हो जाती थी उनकी सामने.

" ला अपना लेफ्ट हॅंड दे ..मे तुझे तेरा फ्यूचर बताती हू " कहते हुए दीदी

ने मेरा हाथ अपने हाथो मे ले लिया ( मे आपको बता दू कि दीदी नी लॉस

टी-शर्ट ऑफ पाजामा पहना हुआ था ) . " ओफ्फ….म्म..क्या मुलायम हाथ था दीदी

का..उनके गोरे गोरे हाथो मे मेरे हाथ भी काले नज़र आने लगे थे…

" तू..बड़ा होकर बनेगा ..म्म..एक..जोकर….हा .हा हा.." दीदी हस्ने लगी.

दीदी मज़ाक कर रही थी और मुझे हसाने की कोशिस कर रही थी पर मे तो उनकी

खूबसूरती को निहार रहा था.

पर थोड़ा मज़ाक करने के बाद हम दोबारा टीवी देखने लगे..कुछ 5 मिनट ही हुए

थे कि तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे मेरी ही नही दीदी की भी साँसे रुक गयी

थी….जैसा कि मैने आपको को बताया कि टीवी पर अनिमल प्लॅनेट चल रहा था..सब

कुछ सही चल रहा था ..कुछ ज़ब्रा घास चर रहे थे कि अचनाक एक बड़ा सा

ज़ीब्रा वाहा आया और एक फीमेल ज़ीब्रा की चूत को पीछे से सूंघने लगा..फिर

उसने अपनी ज़ीब निकाली और वो उसकी चूत को चाटने लगा..कॅमरा मॅन ने इसका

क्लोज़ अप लेना सुरू कर दिया..जैसे जैसे वो उसकी चूत चाट रहा था मैने

देखा कि अब कमरे का फोकस उस ज़ीब्रा की टाँगो की तरफ़ था चूत चाटते चाटते

उसका लंड बढ़ता ही जा रहा था..और ये सब मे अकेला नही बल्कि पास बैठी दीदी

भी देख रही थी..पूरे कमरे मे अब सिर्फ़ टीवी की आवाज़ ही आ रही थी..यका

यक पता नही मेरी नज़र दीदी पर गयी…तो मैने पाया कि दीदी बिना आँखे बंद

किए ये सब देख रही है…फिर मेरी नज़र दीदी की गर्दन से नीचे सीधे उनके

उभारो पर गयी..अब वे और ज़्यादा तन गयी थी .और जल्दी जल्दी उपर नीचे हो

रही थी.शायद दीदी की सासे तेज चल रही थी…तभी दीदी की नज़र मुझसे

मिली..कुछ सेकेंड के लिए.ही मिली थी …शर्म से उनका गोरा चहरा लाल हो रहा

था..वो कुछ ना बोली और आगे बाद कर रिमोट उठा कर चैनल चेंज करने लगी..पर

जैसे कि मैने पहले बताया था कि रिमोट के सेल वीक हो गये थे चैनल चेंज नही

हुआ..पर तभी टीवी स्क्रीन पर वो ज़ीब्रा उस फीमेल ज़ीब्रा पर चढ़

गया…मुझे तभी अहसास हुआ कि मेरा हाथ अब भी दीदी के कोमल हाथो मे था जो कि

अब उनकी राइट थाइ पर रखा हुआ था…उनकी सॉफ्ट थाइट की स्किन को मे उनके

पजामे के उपर से महसूस कर सकता था..मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा..उधर

ज़ीब्रा ने एक ही झटके मे अपना विशाल लंड फीमेल ज़ीब्रा की चूत मे घुसा

दिया..और जैसे ही उसने पहला झटका मारा दीदी ने मेरे हाथ को कस कर भीच

लिया..मेरी हालत बहुत बुरी हो गयी…मुझे लग रहा था कि एक तरह से मे दीदी

के साथ बैठा ब्लू फिल्म देख रहा हू..मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया..ज़ीब्रा

लगातार झटके मार रहा था…मुझ पर सेक्स का नशा चढ़ता जा रहा था …कुछ तो उन

जानवरो की चुदाई देख कर ..और कुछ दीदी के नरम हाथो और उनकी गरम जाँघो की

गर्मी..मुझसे रहा नही गया और अचानक मैने अपने हाथो को थोड़ा खोला और

अंजलि दीदी की राइट जाँघ जिस पर मेरा हाथ रखा था को कस्स कर दबा दिया…बस

मेरे लिए ये काफ़ी था और मेरे लंड से पानी छोड़ दिया…वो तो अच्छा था मैने

अन्दर्वेअर और उपर से पॅंट पहनी थी नही तो दीदी को पता चल जाता…तभी

टेलिफोन की घंटी बजी .दीदी तो मानो सपने से जागी उनको शायद ये भी पता नही

था कि मैने उनकी थाइस को दबाया है..वो फॉरन दूसरे कमरे की तरफ़ चली गयी

जहा फोन बज रहा था…..

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